
जैसलमेर दौरे पर आए रक्षामंत्री राजनाथसिंह ने दूसरे दिन शुक्रवार का यहां सेना कमांडरों की कान्फ्रेंस के दौरान सुरक्षा स्थिति और भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों का जायजा लिया। इसके साथ ही तनोट और लोंगेवाला के अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया। कान्फ्रेंस के दौरान भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ ग्रे जोन युद्ध, संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार सहित प्रमुख मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्रसिंह और सभी सेना कमांडर मौजूद थे। रक्षामंत्री ने सैनिकों को देश की अखंडता की रक्षा के लिए उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया, वहीं कमांडरों को रक्षा कूटनीति, आत्मनिर्भरता, सूचना युद्ध, रक्षा अवसंरचना और बल आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। सैनिकों की दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय सेना विश्व की सबसे अनुकूलनीय सेनाओं में से एक है। चाहे सियाचिन की बर्फीली ऊंचाई हो, राजस्थान के रेगिस्तान की तपती गर्मी हो, या घने जंगलों में आतंक विरोधी अभियान, हमारे सैनिक हमेशा अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता दिखाते रहे हैं। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि जबकि आज का युद्ध प्रौद्योगिकी-आधारित है, सैनिक देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं। उन्होंने कहा, मशीन ताकत को बढ़ाती है, लेकिन परिणाम देने की शक्ति मानव आत्मा में है।
Published on:
24 Oct 2025 08:17 pm
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