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जैसलमेर दुखान्तिका: एफएसएल जांच में आग लगने के कारणों की पुष्टि, ज्वलनशील व विस्फोटक सामग्री से नहीं लगी थी आग

जैसलमेर में जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास पांच दिन पूर्व निजी स्लीपर बस में छत (रूफ) पर लगे एयर कंडीशनर की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी थी।

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जैसलमेर में जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास पांच दिन पूर्व निजी स्लीपर बस में छत (रूफ) पर लगे एयर कंडीशनर की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी थी। बस में एसी के नीचे वाले स्थान पर आग का सबसे अधिक असर हुआ था। जोधपुर व जयपुर की विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की संयुक्त जांच में यह पुष्टि हुई है। सूत्रों के अनुसार गत 14 अक्टूबर को बस जलने के बाद जोधपुर व जैसलमेर एफएसएल ने जांच कर साक्ष्य संकलित किए थे।
आग के लगने का कारण जानने के लिए एफएसएल में जांच शुरू की गई। कुछ पहलुओं की जांच के लिए सैम्पल एफएसएल जयपुर भेजे गए थे। बस से जुटाए साक्ष्य व आंशिक-पूर्ण जले वायर का परीक्षण किया गया। चार दिन में दोनों की संयुक्त जांच पूर्ण हो गई। जिसमें शॉर्ट सर्किट की वजह से बस में आग लगना सामने आया है।

एसी की वायरिंग इंजन से जुड़ी, उसी में शॉर्ट सर्किट

एफएसएल सूत्रों का कहना है कि बस की छत यानि रूफ में एसी लगा हुआ था। जिसकी वायरिंग इंजन से जुड़ी हुई थी। इंजन चालू होने पर ही एसी भी स्टार्ट होता है। एफएसएल जांच में छत में लगे एसी की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट होने के प्रमाण पाए गए।

टायर, टैंक व बैटरी सुरक्षित, इसलिए ऊपर लगी आग

बस में सवार 19 यात्री जिंदा जल गए थे। शवों की शिनाख्त तक नहीं हो पाई थी। 16 झुलस गए थे। इनमें से भी चार की मृत्यु हो चुकी है। बस आग का गोला बन गई थी। पूरी बस जल चुकी थी। इसके बावजूद उसके सभी छहों टायर, डीजल टैंक और बैटरी व उसकी केबल सुरक्षित है। डीजल टैंक का ढक्कन तक आग की चपेट में नहीं आया। बॉडी के नीचे का हिस्सा पूरी तरह सुरक्षित था। यानि आग ऊपर से ही लगी थी। एफएसएल ने आशंका जताई है कि आग ऊपर छत में लगे एसी से फैली थी।

ज्वलनशील या विस्फोटक सामग्री से आग के प्रमाण नहीं

बस में आग लगने के दौरान आशंका जताई गई थी कि बस में कोई ज्वलनशील और विस्फोटक सामग्री भी थी। जिसकी वजह से भीषण आग लगी थी। एफएसएल की जांच में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला। ज्वलनशील या विस्फोटक सामग्री से आग लगने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।

बस की डिक्की में पटाखे थे, लेकिन भीग चुके थे

एफएसएल जांच में सामने आया कि बस की साइड वाली डिक्की में पटाखे और प्लास्टिक की एक थैली रखी हुई थी, लेकिन यह गीली थी। यानि आग बुझाने के लिए डाले पानी से पटाखे व थैली भीग गई थी। उसमें पटाखे भी सुरक्षित थे। हालांकि बस के अंदर आग से तापमान करीब एक हजार डिग्री से अधिक हो गया था। ऐसे में बंस के अंदर कोई पटाखे के साक्ष्य नहीं मिले।