जहां हर दिन दीपावली, हर युद्धाभ्यास एक पर्व (फोटो- पत्रिका)
जैसलमेर: रेगिस्तान की तपती रेत पर जब टैंकों की दहाड़ गूंजती है और मिसाइलें आकाश को चीरती हैं, तब पोकरण की रणभूमि केवल अभ्यास नहीं करती, वह देशभक्ति का उत्सव रचती है। यहां हर परीक्षण एक परंपरा है, हर फायरिंग एक दीपावली।
विषम मौसम, विकट परिस्थितियां और सीमांत तनाव के बीच यह धरती साहस, समर्पण और संकल्प की लौ से रोशन होती है। यह वही भूमि है, जिसने 1998 में परमाणु शक्ति से विश्व को चौंकाया था और आज भी हर नया अस्त्र यहीं अपनी पहली परीक्षा देता है।
मरुप्रदेश में रेत तपती है, 50 डिग्री की गर्मी में और जम जाती है। शून्य से नीचे सर्दी में, लेकिन विषम भौगोलिक परिस्थितियों में प्रतिकूल मौसम हथियारों की असली परीक्षा बन जाता है।
पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी साल भर युद्धाभ्यास में जुटे रहते हैं, हर फायरिंग एक नया दीप जलाती है। हर परीक्षण आत्मविश्वास की नई लौ प्रज्ज्वलित करता है। यहां दीपक घी, तेल या मोम से नहीं, बल्कि साहस, समर्पण और संकल्प से जलते हैं।
परमाणु परीक्षणों की गूंज से लेकर ब्रह्मोस, नाग, आकाश, पिनाक, स्मर्च, अर्जुन टैंक और एम-777 हॉविट्जर जैसे अत्याधुनिक हथियारों की फायरिंग तक हर आवाज एक नई दीपावली रचती है। यहां हर सफल परीक्षण वैज्ञानिकों के चेहरे पर वही दीप्ति लाता है, जो घरों में दीयों से फैलती है।
पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज चार हिस्सों ए, बी, सी और डी में विभाजित है। खेतोलाई, धोलिया और लाठी क्षेत्र में थलसेना, जबकि चांधन इलाके में वायुसेना अपने अभ्यास करती है। पाकिस्तान सीमा के करीब बसे इस रणक्षेत्र में जब टैंक दहाड़ते हैं, मिसाइलें उड़ती हैं और सैनिक सलामी देते हैं, तो आसमान में फूटती रोशनी दीपावली की आतिशबाजी जैसी लगती है।
Updated on:
20 Oct 2025 02:12 pm
Published on:
20 Oct 2025 02:11 pm
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