फोटो- पत्रिका नेटवर्क
Jaisalmer Bus Fire Incident: राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर बीते मंगलवार दोपहर बाद घटी भयानक त्रासदी के बाद पूरा राज्य सदमे में डुबा हुआ है। जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक एसी स्लीपर बस अचानक आग की लपटों में लिपट गई, जिसमें 21 यात्रियों की जिंदगी जलकर राख हो गई। हादसे में 16 अन्य यात्री गंभीर रूप से झुलस गए, जिनमें से चार अभी भी वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
यह घटना दोपहर करीब 3:30 बजे जैसलमेर के थईयात गांव के पास वार म्यूजियम के निकट हुई। बस में करीब 45-50 यात्री सवार थे। इनमें से ज्यादातर जोधपुर और आसपास के जिलों के निवासी थे, जो दिवाली की छुट्टियों में घर लौट रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस के पिछले हिस्से से अचानक धुआं उठने लगा। चालक ने वाहन रोक तो लिया, लेकिन आग ने चंद मिनटों में ही पूरे बस को अपनी चपेट में ले लिया। दरवाजा जाम होने से यात्री बाहर नहीं निकल पाए। कुछ ने जान बचाने के लिए चलती बस से छलांग लगा दी, लेकिन ज्यादातर आग की चपेट में आ गए।
हादसे में एक पूरा परिवार महेंद्र मेघवाल, उनकी पत्नी पार्वती और तीन बच्चे (खुशबू, दीक्षा व एक बेटा) जिंदा जल गया। वे सेना के गोला-बारूद डिपो में तैनात महेंद्र के साथ दिवाली मनाने गांव लवारन जा रहे थे। इसके अलावा, स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान भी शिकार हो गए।
मौके पर पहुंचे स्थानीय ग्रामीणों, राहगीरों और सेना के जवानों ने बचाव कार्य शुरू किया। सेना ने पानी के टैंकरों से आग बुझाई, जबकि फायर ब्रिगेड की टीम देरी से पहुंची। झुलसे यात्रियों को पहले आर्मी अस्पताल, फिर जैसलमेर के जवाहर अस्पताल ले जाया गया। गंभीर 16 मरीजों को जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल रेफर कर दिया गया।
बुधवार सुबह 10 साल के बच्चे यूनुस ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, जिससे मौतों का आंकड़ा 21 पहुंच गया। डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर शव 50-70 फीसदी तक जल चुके हैं, इसलिए पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराया जा रहा है। 21 बॉर्न सैंपल और 9 परिजनों के नमूने जोधपुर FSL भेजे गए हैं। शाम तक पहचान पूरी होने की उम्मीद है।
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तुंरत घटनास्थल पहुंचे और स्थिति का जाजजा लिया। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
इधर, पुलिस ने पहली FIR दर्ज की है, जिसमें बस मालिक और चालक पर लापरवाही का आरोप है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि बस हाल ही में मॉडिफाई की गई थी, जो आग का कारण हो सकती है। क्या पटाखों की वजह से धमाका हुआ, इसकी भी पड़ताल चल रही है। सदर थाने में बुकिंग एजेंट लक्ष्मण से पूछताछ जारी है।
वहीं, इस हादसे को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा भड़क गया है। लोग सरकारी लापरवाही, पुरानी बसों की अनदेखी और सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर सवाल उठ रहे हैं। एक यूजर संजय धरीवाल जैन ने सवाल उठाया कि क्या सरकारी तंत्र ऐसे भयानक हादसों को रोक नहीं सकती? ठसाठस भरी बसों पर रोक लगाओ।
एक कार्तिक नाम के यूजर ने लिखा कि प्रदेश में हर जगह इस तरह की मोडिफाइड बसे AC बस के नाम से चल रही है, जिसमें सुरक्षा की दृष्टि से कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार अविलंब इस तरह की बसों पर रोक लगानी चाहिए, जनहानि व्यापार से बढ़कर नहीं है।
वहीं, एक अन्य अनिल नाम के यूजर ने सीएम भजनलाल को टैग करते हुए लिखा कि सर हमारे जैसलमेर में कोई अच्छा अस्पताल नहीं है, ना ही कोई सुविधाएं हैं, डाक्टर भी समय पर नहीं मिलते, कोई भी दुर्घटना होती है तो सीधा जोधपुर जाना पड़ता है, जोकि 300 किलोमीटर दूर है। कई बार समय पर ना पहुंचे पाने के कारण भी मरीज़ कि मोत हो जाती है।
एक डूंगर गोदारा नाम के यूजर ने लिखा कि अब इस घटना से सबक लो और जैसलमेर में भी एम्स लेवल का बड़ा अस्पताल बनाओ, ताकि भविष्य में कोई दुर्घटना हो तो उधर के लोगों को तुरंत इलाज मिल सके, वरना ऐसी भयंकर दुर्घटना में सैकड़ों किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचने तक आदमी का बच पाना मुश्किल होता है।
मदन ओझा नाम के यूजर ने कहा कि आम आदमी की जिन्दगी की कोई कीमत नही है, किसी नेता या उसके परिजन को छींक भी आ जाये तो सरकार उनके लिए फ़ोरन हेलिकोप्टर भेज देती है, लेकिन आम जनता को 5 घंटे के सफ़र के लिए भी एम्बुलेंस से भेजा जाता है। 90% जले हुए इंसानों के लिए ये सफ़र कितना दुखदायी होता है, कल्पना करना भी मुश्किल है।
वहीं, अजय सक्सेना नाम के यूजर ने सीएम को लिखा कि आदरणीय महोदय, आप कभी इन एसी बसों को अंदर से देखना ये सुरक्षा की दृष्टि से कितनी खतरनाक है। इनमे अंदर इतना सकरा रास्ता होता है कि एक व्यक्ति के अलावा दूसरा हिल भी नहीं सकता, और तो ओर ये इतनी ओवरलोडिंग करते है कि दुर्घटना होना स्वाभाविक है, ना ही इनमे अग्निशमन का कोई ध्यान रखा जाता है।
बताते चलें कि यह हादसा राजस्थान की सड़क सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। पीएम मोदी ने 2 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग मांग कर रहे हैं कि दोषी बस मालिक और अधिकारीयों पर कड़ी कार्रवाई हो। घायलों का इलाज जोधपुर के एमजी अस्पताल में चल रहा है, जहां 4 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन जनता का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा।
Updated on:
15 Oct 2025 07:33 pm
Published on:
15 Oct 2025 05:14 pm
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