मृतक राजेंद्र सिंह चौहान (फोटो- पत्रिका)
Jaisalmer bus fire: जैसलमेर से मंगलवार को जोधपुर जा रही निजी बस में लगी आग ने कई परिवारों के दीप बुझा दिए। उन्हीं में से एक थे राजेंद्र सिंह चौहान, जिनकी पहचान मीडियाकर्मी के साथ-साथ समाजसेवी और खिलाड़ी के रूप में भी थी।
जैसलमेर निवासी राजेंद्र सिंह चौहान मंगलवार को जैसलमेर केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज भाटिया के साथ पोकरण जा रहे थे। जहां एक मेडिकल दुकान का उद्घाटन होना था। किसे पता था कि यह यात्रा उनका आखिरी सफर बन जाएगी।
परिजनों ने बताया कि दोनों एयरफोर्स स्टेशन के पास पहुंचे तो बस निकल चुकी थी। उन्होंने फोन कर बस को रेलवे स्टेशन पर रुकवाया और वहीं से सवार हुए। कुछ ही देर बाद थईयात के पास मौत बनकर आई लपटों ने चौहान की जिंदगी को लील लिया।
राजेंद्र सिंह चौहान सात भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर थे। उनके सिर से पहले ही माता-पिता का साया उठ चुका था। उनके दो बेटे हैं, जिनके सिर पर अब पिता का स्नेह का हाथ नहीं रहा। घर में जैसे सन्नाटा पसर गया है।
गौरतलब है कि चौहान क्रिकेट, बास्केटबॉल और वॉलीबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे और युवाओं को खेलों के लिए प्रेरित करते थे। कई सामाजिक अभियानों में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी। शहर के लोग उन्हें हमेशा मुस्कुराते हुए देखते थे। वे सकारात्मक, मददगार और कर्मशील थे।
उनका जन्मदिन अभी 5 अक्टूबर को ही मनाया गया था। दोस्तों ने सोशल मीडिया पर उन्हें शुभकामनाएं दी थीं। किसी ने सोचा भी नहीं था कि ठीक नौ दिन बाद वही फेसबुक वॉल उनके निधन की खबर से भर जाएगी। थईयात के पास लगी आग में मंगलवार को जिन 20 लोगों की मौत हुई, उसमें वे भी शामिल थे।
निवर्तमान पार्षद देवी सिंह ने बताया कि उन्होंने कार में पोकरण जाने को कहा था, लेकिन राजेंद्र ने कहा कि पोकरण पास ही है, इसलिए वे बस में ही गए। राजेंद्र की पत्नी संगीता का रो-रोकर बुरा हाल है।
उनका बड़ा बेटा 17 वर्षीय भव्यजीत सिंह और छोटा बेटा 12 वर्षीय हृदयांश हादसे के बाद समझ ही नहीं पा रहे कि उनके परिवार में यह क्या हो गया। उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह चौहान मेडिकल व्यवसाय से जुड़े हैं। पत्नी संगीता की रुलाई अब भी थमी नहीं है। 17 वर्षीय भव्यजीत और 12 वर्षीय हृदयांश बार-बार पूछते हैं, ‘पापा कब आएंगे?
Updated on:
16 Oct 2025 09:58 am
Published on:
16 Oct 2025 09:56 am
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