जैसलमेर में निजी एसी बस की आग ने पूरे देश व प्रदेश को झकझोर दिया है और अब तक इस हादसे में 21 जनों की मौत हो चुकी है और कई और जिंदगी व मौत के बीच झूल रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर सडक़ों पर धड़ल्ले से दौडऩे वाली निजी बसों में सुरक्षा के इंतजामों का मुद्दा उभर कर सामने आया है। पत्रिका टीम ने जैसलमेर व पोकरण में क्षेत्र में संचालित निजी बसों की पड़ताल की तो उनमें न तो आग लगने जैसी दुर्घटना से तुरंत बचाव के लिए सुरक्षा के इंतजाम नजर आए और इक्का-दुक्का बसों को छोड़ कर किसी में प्राथमिक उपचार तक की व्यवस्था उपलब्ध नहीं दिखी। गौरतलब है कि जैसलमेर से लगभग प्रतिघंटा निजी बस पोकरण होते हुए जोधपुर जाती है, इसके अलावा जयपुर, अहमदाबाद, उदयपुर, बीकानेर, कोटा, बाड़मेर, सहित दिल्ली, मुंबई, पुणे, सूरत, भीलवाड़ा सहित लंबे रूट्स पर निजी बसों का संचालन होता है। ये बसें एसी व नॉन एसी होने के साथ सीटिंग व स्लीपर दोनों तरह की हैं। कई बसें स्टेज कैरिज नहीं होने के बावजूद हर गांव-ढाणी के बस स्टैंड पर रुकती और सवारियां लेती व उतारती है।
जिला परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जैसलमेर जिले से कुल 211 बसों को परमिट किया गया है। इसमें ऑल इंडिया के 21, स्टेट कैरिज (अन्य) के 85, स्टेट कैरिज (ग्रामीण) के 42, कॉन्ट्रेक्ट कैरिज (ऑल राजस्थान) के 22 और कॉन्ट्रेक्ट कैरिज (सम्भागीय) के 41 परमिट जारी किए गए हैं।
इस तरह का हादसा होने के बाद हर कोई कारणों की पड़ताल में जुटा है लेकिन एक बात तय है कि समय रहते जिला प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी शायद ही कभी इन बसों की स्थिति, नियमों की पालना के हालात आदि जानने के लिए निरीक्षण करते हैं। जबकि जिले की कमान उनके पास है। निजी बसों के संचालक अपनी मनमानी के लिए वर्षों से कुख्यात हैं, इसके बावजूद उनके खिलाफ कभी-कभार किसी तरह का बड़ा हादसा होने पर रस्मी कार्रवाइयां भर कर दी जाती हैं। थोड़े दिनों बाद सबकुछ पुराने ढर्रे पर लौट आता है।
Published on:
15 Oct 2025 11:33 pm
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