राजस्थान वीरों की धरती है, यहां की मिट्टी का हर कण राजपूतों के बलिदान की कहानी बयान करता है। इस मिट्टी की शान के लिए यहां की छत्राणियां भी पीछे नहीं रहीं। ऐसी ही इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी परम वीर क्षत्राणी थी सहल कंवर यानी हाड़ी की रानी।
्रसोलह साल की उम्र में हाड़ी रानी ने औरंगजेब के खिलाफ युद्द के दौरान अपना कर्तव्य निभाते हुए स्वयं का शीश काट लिया और अपना राष्ट्र धर्म निभाया। ये बहुत ही प्रेरणादायक, साहस और बलिदान की अमर गाथा है जो आज भी इस धरती में गूंजती है ये कहना है जयपुर वैक्स म्यूजिय़म के फाउंडर डायरेक्टर अनूप श्रीवास्तव का। वह कहते हैं कि मुझे व्यक्तिगत रूप से इस कथा ने बहुत प्रभावित किया और हमने निर्णय लिया कि आने वाली पीढ़ी को इस त्याग और बलिदान की अमर गाथा को जरूर जानना चाहिए।
हाड़ी रानी के वैक्स का पुतला बनकर तैयार हो चुका है और उसके पीछे लगने वाले सेट तथा एक विशेष शो के डायलॉग, वॉयसओवर और म्यूजिक की रिकॉर्डिंग मुंबई में की जा रही है। जल्द ही, पर्यटकों को इस ह्रदयविदारक कथा को एक विशेष लाइट एंड साउंड के साथ म्यूजिय़म में देखने को मिलेगा।
अदभुत सौंद्र्य की मालकिन, पूर्ण श्रंगार में सजी हाड़ी रानी के पुतले को वैक्स म्यूजियम के रॉयल दरबार सेक्शन में लगाया जाएगा। जयपुर वैक्स म्यूजियम की मूर्तिकार टीम ने अनूप श्रीवास्तव के निर्देशन में पुतले का निर्माण किया है जिसका वजन लगभग 28 किलोग्राम है। अनूप ने बताया कि हमेशा से ही हमारा निर्णय रहा है कि म्यूजियम में जो भी स्टैच्यू लगे वो लोगों को प्रेरित करे, इसीलिए बजाय निरर्थक सेलिब्रिटी के पुतलों के हमारी तलाश इतिहास के पन्नों में खोए सचमुच के रियल लाइफ हीरोज की रहती है।
Published on:
18 May 2024 01:51 pm