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राजस्थान में बेलगाम कैब कंपनियां: सड़कों पर दौड़ रहीं 80% अवैध बाइक टैक्सियां

Motor Vehicle Act Violation: जयपुर में हर 10 बाइक टैक्सियों में 8 सफेद नंबर प्लेट वाली। दुर्घटना हुई तो नहीं मिलेगा क्लेम। परिवहन विभाग की ढिलाई से यात्री परेशान। अधिकारियों की मिलिभगत से चल रहा खेल। सरकार को लग रही करोड़ों की चपत, अधिकारी चुप। राइडरों की दादागिरी से युवतियां परेशान।

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जयपुर

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MOHIT SHARMA

Sep 30, 2025

photo: patrika

photo: patrika

मोहित शर्मा .
Illegal Bike Taxis: जयपुर. राजस्थान की सडक़ों पर कई कंपनियों की बाइक टैक्सी सेवाएं अवैध रूप से फल-फूल रही हैं, जो निजी बाइकों (सफेद नंबर प्लेट) पर चलाई जा रही हैं। मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत यह व्यावसायिक उपयोग पूरी तरह गैरकानूनी है, फिर भी परिवहन विभाग अनदेखी कर रहा है। इससे सरकार को सालाना करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। फूड व अन्य डिलीवरी कंपनियां भी इसी अवैध खेल में शामिल हैं। दुर्घटना पर क्लेम की कोई गुंजाइश नहीं है।
पत्रिका की पड़ताल में जयपुर में हर 10 बाइक टैक्सियों में 8 सफेद नंबर प्लेट वाली मिलीं। केपीएमजी की 2024 रिपोर्ट के अनुसार भी राज्य में करीब 50,000 बाइक टैक्सियां संचालित हैं, जिनमें 80त्न (40,000) निजी रजिस्ट्रेशन वाली हैं। जयपुर में 20,000, उदयपुर में 10,000, जोधपुर में 8,000 और कोटा में 6,000 बाइकें अवैध रूप से दौड़ रही हैं।

पुलिस को चकमा, यात्रियों पर संकट

बाइक राइडर पुलिस को चकमा देने के लिए कंपनी का हेलमेट या मोबाइल स्टैंड नहीं लगाते हैं। सफेद प्लेट वाली बाइकें आसानी से पकड़ में नहीं आती हैं। कंपनियां निजी वाहनों को अनुमति देकर कानून तोड़ रही हैं। इससे दुर्घटना होने पर यात्रियों को इंश्योरेंस क्लेम भी नहीं मिल पाता है। मंत्रालय के आदेशानुसार बाइक टैक्सी में सफेद प्लेट वाली बाइकों को जब्त करने और 5,000-10,000 रुपये का जुर्माना और कंपनियों पर 1 लाख तक का दंड का प्रावधान है, लेकिन अमल नाममात्र भी नहीं हो रहा है।

नियम बने तो मिले रोजगार

राजस्थान सरकार ने बाइक टैक्सी को वैध बनाने की अनुमति दी, लेकिन केवल 10त्न ही पालन हो रहा है। मंत्रालय से विशेष अभियान चलाकर ऐसी बाइकों को जब्त करने और जुर्माना लगाने के निर्देश हैं। केपीएमजी रिपोर्ट के मुताबिक अगर निजी बाइकों को सवारी ले जाने की कानूनी अनुमति मिल जाए तो देश में 5.4 मिलियन लोगों को रोजगार मिल सकता है।

कंपनी को टैक्स तो दे रहे

क्या करें ऐसी महंगाई में कुछ तो करना ही पड़ेगा। अब बाइक के नंबर तो बदलवा नहीं सकते। इसलिए प्राइवेट बाइक ही चला रहे हैं। हम तो कंपनी को हर राइड पर 5त्न टैक्स भी देते हैं।

रामखिलाड़ी, बाइक राइडर, जयपुर

एक कागज पर दो बाइक

साहब मेरे कागज तो कंपनी में कमर्शियल के ही हैं। मैं निजी चला रहा हूं। मेरी दो बाइक चल रही हैं। इसलिए एक निजी चलानी पड़ रही है। अब दो का खर्चा कहां से उठाऊं।
-गिरिराज सिंह, बाइक राइडर, जयपुर

शिकायत पर करते हैं कार्रवाई

यदि कोई प्राइवेट नंबर की बाइक को कॉमर्शियल यूज में लेता है तो वह गलत है। शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में भी हमने 300 चालान किए हैं।

राजेन्द्र सिंह शेखावत, आरटीओ प्रथम, जयपुर