जोधपुर की बेटी और जयपुर की बहू राजश्री। फोटो पत्रिका
Motivational Story Of RAS Rajshree Pareek : जीवन कभी-कभी ऐसी परीक्षा लेता है, जिसकी तैयारी कोई नहीं कर पाता है। लेकिन कुछ लोग उसे अपनी पहचान बना देते हैं। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी राजश्री पारीक की है, जिन्होंने 42 वर्ष की उम्र में अपने पति के असामयिक निधन के बाद कठिन परिस्थितियों में बीच न केवल 2 बच्चों की परवरिश और सास-ससुर की जिम्मेदारियां निभाई बल्कि आएएस 2023 परीक्षा में प्रथम प्रयास में डब्ल्यूडी कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया।
जोधपुर की बेटी और जयपुर की बहू राजश्री आज हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। वर्ष 2021 में पति राहुल पारीक के निधन के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। अध्यापिका के रूप में कार्यरत रहते हुए उन्होंने हर जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाया और पढ़ाई को कभी पीछे नहीं छोड़ा। वर्तमान में वे ग्राम धीरजपुरा, रींगस में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। राजश्री का मानना है कि सफलता सही परिस्थितियों की नहीं, बल्कि सही संकल्प की कहानी होती है।
जवाब : मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा मेरे पति रहे, जो हमेशा चाहते थे कि मैं जीवन में कुछ मुकाम हासिल करूं। मेरी मां और सास-ससुर ने हर परिस्थिति में मेरा हौसला बढ़ाया और मुझे सशक्त बनाया। मेरे बच्चे भी हमेशा मेरा संबल रहे।
जवाब : जयपुर में तैयारी करना चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि अध्यापिका होने के साथ-साथ घर और सामाजिक जिम्मेदारियों को संभालना कठिन था। सबसे बड़ी बाधा समय प्रबंधन थी। मैंने इसे योजना बनाकर, नियमित अध्ययन और प्राथमिकताओं को तय करके पार किया। मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी बनाकर और फोकस रूटीन अपनाकर पढ़ाई को स्थिर रखा।
प्रश्न - परिवार और बच्चों की परिवरिश के बीच उम्र बाधा नहीं बनी
जवाब : मेरे सामने दो रास्ते थे या तो परिस्थितियों को स्वीकार कर लेना, या फिर उन्हें बदलने का साहस दिखाना।मैंने दूसरा रास्ता चुना। हर दिन मानसिक और भावनात्मक संघर्ष रहा, लेकिन मैंने खुद से वादा किया कि अब हर चुनौती को कदम बनाऊंगी।
Published on:
19 Oct 2025 08:04 am
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