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एक साल की बेटी, सरकारी नौकरी और घर… सेल्फ स्टडी करते हुए RAS में पाई 6th रैंक, Super Mom ने बताया क्या था सबसे मुश्किल…

RAS Rashi Kumawat Success Story: जयपुर निवासी राशि कुमावत बचपन से ही एक मेधावी छात्रा रही हैं। 10वीं में 96.4% और 12वीं में 92.8% अंक हासिल किए। इसके बाद एमएनआईटी (MNIT) जयपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। 2019 में सूचना सहायक की सरकारी नौकरी हासिल करने के बाद भी, प्रशासनिक सेवा का उनका सपना ज़िंदा रहा

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RAS Rashi Kumawat Family Photo

Super Mom Rashi Kumawat Success Story: राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने जब बुधवार देर रात RAS मुख्य परीक्षा-2023 का अंतिम परिणाम जारी किया, तो खुशियों का एक सैलाब उमड़ पड़ा। इस ऐतिहासिक लिस्ट में 972 नए प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं, लेकिन सबसे खास बात है टॉप-10 में जयपुर की एक 'सुपरमॉम' का नाम।

जयपुर के लेबर डिपार्टमेंट में सूचना सहायक (Information Assistant) के पद पर कार्यरत राशि कुमावत ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन के दम पर पूरे राजस्थान में छठवीं रैंक (6th Rank) हासिल की है। यह सफलता उन्हें बिना किसी कोचिंग, केवल सेल्फ-स्टडी के बूते मिली है। उनकी कहानी नौकरी और घर की दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहीं हर महिला के लिए एक बड़ा सबक है।

गोल्ड मेडलिस्ट से RAS अधिकारी तक का सफर

जयपुर निवासी राशि कुमावत बचपन से ही एक मेधावी छात्रा रही हैं। 10वीं में 96.4% और 12वीं में 92.8% अंक हासिल किए। इसके बाद एमएनआईटी (MNIT) जयपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। 2019 में सूचना सहायक की सरकारी नौकरी हासिल करने के बाद भी, प्रशासनिक सेवा का उनका सपना ज़िंदा रहा। राशि ने बताया, "2021 में मैंने पहली बार RAS एग्जाम दिया था, लेकिन प्री (Pre) भी नहीं निकला। हार मानने की बजाय, मैंने खुद पर विश्वास किया और ठान लिया कि अगली बार मैं बिना कोचिंग यह परीक्षा पास करूंगी।"

जब गोद में बेटी थी और मेज पर किताबें

राशि के लिए यह सफर किसी तपस्या से कम नहीं था। उनके पति महेश कुमावत आरजेएस (RJS) अधिकारी हैं। सबसे बड़ी चुनौती थी, उनकी मासूम बेटी। जब राशि ने मन लगाकर तैयारी शुरू की, तब मेरी बेटी सिर्फ एक साल की थी। छोटी बच्ची को संभालना, ऑफिस जाना, घर का सारा काम करना… यह सब करते हुए हर दिन पढ़ाई के लिए समय निकालना सबसे कठिन समय था। ऑफिस जाने से पहले सुबह का समय या देर रात, जब भी मौका मिलता, वह अपनी किताबों के साथ बैठ जाती थीं। लगातार तीन साल तक उन्होंने इसी रूटीन को फॉलो किया। कोचिंग की मोटी फीस या भीड़ में जाने के बजाय, उन्होंने केवल टेस्ट सीरीज और खुद के नोट्स पर भरोसा किया। यह आत्मविश्वास और अनुशासन ही था, जो उनका साथी बना।

परिवार का सहयोग और सफलता का मंत्र

राशि अपनी इस बड़ी सफलता का श्रेय अपने परिवार और ईश्वर को देती हैं। उनके ससुराल और पीहर पक्ष दोनों का उन्हें भरपूर सहयोग मिला, जिसने उन्हें इस 'अकेले युद्ध' को जीतने की हिम्मत दी। राशि कुमावत आज लाखों महिलाओं के लिए एक 'रोल मॉडल' हैं, जिन्होंने साबित कर दिया कि अगर मन में दृढ़ संकल्प हो, तो नौकरी, मातृत्व और पारिवारिक जिम्मेदारियां भी आपके सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकतीं। अब जिस भी विभाग में उन्हें पोस्टिंग मिलेगी, वह पूरी निष्ठा और सेवाभाव से कार्य करेंगी।