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Rajasthan : राजस्थान में संस्कृत शिक्षा दो ध्रुवों पर खड़ी है। एक ओर कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नामांकन बढ़ रहा है, दूसरी ओर स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार गिर ही है। स्कूलों में पांच साल में 42 हजार छात्रों की कमी आई है। सरकार इसे निजी स्कूलों की बढ़ोतरी से जोड़ रही है। सत्र 2021-22 में जहां राज्य के 1814 संस्कृत स्कूलों में छात्रों का नामांकन 1.67 लाख था, वह इस सत्र 2025-26 में घटक र 1.24 लाख रह गया है।
संस्कृत स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है। प्रदेश के 503 संस्कृत स्कूल ऐसे हैं, जो एकल शिक्षक के भरोसे हैं। जोधपुर संभाग में सबसे अधिक 132 स्कूलों एकल शिक्षक वाले हैं। हाल ही विधायक दीप्ती किरण माहेश्वरी की ओर से संस्कृत शिक्षा पर विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब यह जानकारी दी गई है।
उच्च शिक्षा में भले ही नामांकन बढ़ रहा है। लेकिन कॉलेज और विश्वविद्यालयों में भी शिक्षकों की भारी कमी है। संस्कृत शिक्षा विभाग के अधीन संचालित 51 सरकारी संस्कृत कॉलेजों में एक भी प्रचार्य नहीं है। इसके अलावा कॉलेजों में सहायक आचार्य के 303 पद स्वीकृत हैं, इनमें महज 55 ही कार्यरत हैं।
इसके अलावा राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां शिक्षकों के 50 स्वीकृत पदों में से 31 खाली हैं। यानी सिर्फ 18 शिक्षक पूरे विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध 300 से अधिक कॉलेजों का शैक्षणिक कार्य देख रहे हैं। 2017 के बाद एक भी नई नियुक्ति नहीं हुई है और 2018 के जून के बाद से कोई प्रोफेसर विश्वविद्यालय में नहीं बचा है।
Published on:
18 Oct 2025 09:22 am
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