
पत्रिका फाइल फोटो
Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि संगठन के नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का ऐलान अब कुछ ही कदम दूर है। सूत्रों के अनुसार, जिलों से प्राप्त रिपोर्ट्स दिल्ली पहुंच चुकी हैं और एआईसीसी मुख्यालय में जल्द ही इस पर अंतिम फैसला हो सकता है।
शुक्रवार को दिल्ली में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राजस्थान के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए पर्यवेक्षकों से सुबह 11 बजे से शाम तक विस्तृत फीडबैक लिया। इस दौरान राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के साथ अलग-अलग चर्चा की गई।
इस बैठक में जिलों से आए शीर्ष नामों पर विचार-विमर्श हुआ, जिसमें जातिगत समीकरण, सियासी संतुलन और स्थानीय प्रभाव जैसे मुद्दों को ध्यान में रखा गया। सूत्रों का कहना है कि प्रभारी, पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष की एकजुट सहमति या असहमति ही अंतिम नामों को तय करने में निर्णायक होगी।
इससे पहले, पर्यवेक्षकों के फीडबैक से पूर्व डोटासरा और जूली ने प्रभारी रंधावा के दिल्ली स्थित आवास पर एक अहम बैठक की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने रंधावा को जिलों की स्थिति और संभावित नामों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। रंधावा ने यह फीडबैक वेणुगोपाल और संगठन के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ साझा किया। अब यह रिपोर्ट राहुल गांधी के पास भेजी जाएगी, जिनके अनुमोदन के बाद अंतिम सूची जारी होगी।
जिलाध्यक्ष पद की रेस में शामिल कई नेता इन दिनों दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। दीपावली के बाद से दावेदारों ने दिल्ली का रुख किया है और लुटियंस जोन के होटलों से लेकर राजस्थान स्टेट गेस्ट हाउस तक में उनकी सक्रियता देखी जा रही है। हर नेता अपने संपर्कों को सक्रिय कर अपनी दावेदारी को मजबूत करने में जुटा है। कुछ नेता तो सिफारिश के बहाने दीपावली की मिठाइयों का सहारा भी ले रहे हैं, ताकि उनका नाम सूची में शामिल हो सके।
राजस्थान के 50 जिलों में जिलाध्यक्ष पद के लिए सैकड़ों नेताओं ने दावेदारी पेश की है। कई जिलों में प्रतिस्पर्धा इतनी तीव्र है कि गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। खासकर उन जिलों में, जहां कांग्रेस का कोई सांसद या विधायक नहीं है, वहां लॉबिंग चरम पर है। दूसरी ओर, कुछ जिलों में तस्वीर लगभग स्पष्ट हो चुकी है।
उदाहरण के लिए, सीकर में पीसीसी चीफ डोटासरा का प्रभाव होने से उनके पसंदीदा नाम को अंतिम माना जा रहा है। इसी तरह, झुंझुनूं में सांसद बृजेन्द्र सिंह ओला, जोधपुर में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और टोंक व भरतपुर में क्रमशः सचिन पायलट और भंवर जितेन्द्र सिंह के प्रभाव के चलते संभावित नामों की सूची लगभग तय मानी जा रही है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं की नजरें अब दिल्ली में हो रही बैठकों पर टिकी हैं। जैसे ही नामों पर अंतिम सहमति बन जाएगी, वैसे ही जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर दी जाएगी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह ऐलान कभी भी हो सकता है, और संभवतः आज शाम तक राजस्थान कांग्रेस के नए जिलाध्यक्षों की तस्वीर साफ हो जाएगी।
Published on:
24 Oct 2025 05:07 pm
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