New Drashtikon Shivir
जयपुर. अनुशासन से ही जीवन में स्थिरता, सफलता और स्वास्थ्य संभव है। यदि व्यक्ति स्वयं अनुशासित रहेगा, तो परिवार और समाज भी उसी दिशा में अग्रसर होगा। यह बात 'सन टू ह्यूमन' संस्था के प्रमुख परमालय ने रविवार को सीकर रोड स्थित भवानी निकेतन में आयोजित छह दिवसीय ‘नया दृष्टिकोण शिविर’ के समापन अवसर पर कही।
परमालय ने कहा कि अनुशासन के बिना न व्यापार सफल हो सकता है, न शरीर स्वस्थ रह सकता है, न परिवार सुव्यवस्थित चल सकता है। उन्होंने रोज़मर्रा की दिनचर्या में अनुशासन लाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि हमें सूर्य के साथ तालमेल बनाकर चलना चाहिए।
भोजन मां के दूध जैसा होना चाहिए।
उन्होंने भोजन को लेकर विशेष रूप से कहा कि मनुष्य का भोजन मां के दूध जैसा सरल, पाच्य और पोषण से भरपूर होना चाहिए। सुबह का नाश्ता एल्कलाइन, दोपहर का भोजन स्ट्रॉन्ग एसिडिक और शाम को हल्का, पेय अथवा फलाहार होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि सूर्य की स्थिति के अनुसार भोजन पचाने की शरीर की क्षमता बदलती है, इसलिए सही समय पर, सही भोजन आवश्यक है।
परमालयजी ने लार की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अलग-अलग खाद्य पदार्थों की लार भी भिन्न होती है, इसलिए दाल-चावल जैसे कुछ संयोजन से परहेज करना चाहिए। उन्होंने दिन में केवल तीन बार मुंह झूठा करने की सलाह दी-सुबह, दोपहर और शाम-ताकि लार की शक्ति बनी रहे।
सूर्य ही परम पिता
समापन समारोह में संजय महेश्वरी, अजय मित्तल, कमल सोमानी, नरेंद्र बैद, सहित अन्य गणमान्य लोगों ने परमालय का शॉल और साफा पहनाकर सम्मान किया। शिविर में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और जीवनशैली में सुधार के लिए प्रेरित हुए। परमालय ने अंत में कहा कि सूर्य ही परम पिता है, और हमें सूर्य से पहले उठकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। ऐसा जीवन हमें अनुशासन, स्वास्थ्य और आत्मिक विकास की ओर ले जाता है।
Updated on:
08 Jun 2025 04:03 pm
Published on:
08 Jun 2025 04:00 pm
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