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Child Adoption in India: पैदा होते ही अपनों ने फेंका… अब यशोदा से दूर कर रहा कानून

child protection India : झाडिय़ों में मासूम और दिलों में सवाल, मां मेरा क्या कसूर... अब यशोदा से दूर कर रहा कानून, जयपुर में 450 गोद लिए लेकिन जटिल प्रक्रिया से 31,000 इंतजार में, 37 एजेंसियां कर रहीं कोशिश, फिर भी गोद लेने में 2 साल की देरी।

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जयपुर

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arun Kumar

Sep 26, 2025

child adoption

अरुण कुमार

abandoned children: जयपुर। राजस्थान में हर माह औसतन 22 नवजात बच्चे झाडिय़ों, अस्पतालों या सुनसान स्थानों पर छोड़ दिए जाते हैं। यूनिसेफ 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 2020-2024 में 1,332 बच्चे परित्यक्त पाए गए, जिनमें 90% (1,199) बच्चियां थीं। सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सीएआरए) के मुताबिक, 570 बच्चे (43%) गोद लिए गए, जिनमें 400 (70%) भारत में और 170 (30%) विदेशों (यूए, यूके, कनाडा) में परिवारों से जुड़े। बाकी 762 बच्चे शिशुगृहों में भेजे गए। राजस्थान में जयपुर सबसे अधिक गोद लेने वाला जिला है, लेकिन 762 बच्चे अभी भी परिजनों के इंतजार में हैं। भारत की गोद लेने की प्रक्रिया जटिल है। राज्य में 2,188 बच्चे गोद लेने के लिए उपलब्ध हैं, जबकि 31,000 दंपती प्रतीक्षा में हैं। यह देरी और कागजी कार्रवाई देसी-विदेशी दंपतियों के लिए बड़ी बाधा है।

जयपुर में सबसे ज्यादा गोद लेने की प्रक्रिया

जयपुर में 450 बच्चे (34% कुल मामले) गोद लिए गए, जिनमें 315 (70%) बच्चियां और 135 (30%) बच्चे थे। इनमें से 135 (30%) बच्चे विदेश (यूएस 80, यूके 30, कनाडा 25) गए, जबकि 315 (70%) भारत में परिवारों से जुड़े। जयपुर की गोद लेने वाली एजेंसियों ने 250 बच्चों को परिवारों से जोड़ा। उदयपुर में 300 बच्चे (23%), बीकानेर में 250 (19%), और कोटा में 150 (11%) परित्यक्त पाए गए। उदयपुर और बीकानेर में क्रमश: 100 और 80 बच्चे गोद लिए गए, बाकी पालनागृहों में हैं। 762 बच्चे (57%) राज्य के 50 शिशुगृहों में रह रहे हैं।


गोद लेने और अनाथालय से जुड़े आँकड़े

श्रेणीसंख्या
गोद लेने के लिए उपलब्ध बच्चे2,188
अनाथालयों में रहने को मजबूर बच्चे762
विदेशों में परिवार पाने वाले बच्चे135
भारत में परिवारों से जुड़े बच्चे315

भारत में गोद लेने की प्रक्रिया

भारत में गोद लेना एक जटिल कानूनी प्रक्रिया है। दंपतियों को केरिंग्स पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन, दस्तावेज (आय प्रमाण, स्वास्थ्य रिपोर्ट, पुलिस वेरिफिकेशन), और होम स्टडी के बाद 6-8 महीने इंतजार करना पड़ता है। शादीशुदा दंपतियों के लिए 2 साल की वैवाहिक स्थिरता और सिंगल महिलाओं के लिए किसी भी लिंग का बच्चा गोद लेने की अनुमति है। हालांकि सिंगल पुरुष केवल लडक़े गोद ले सकते हैं। प्रक्रिया में 40,000- 50,000 रुपए खर्च और 1-2 साल की देरी आम है।

बच्चो को कैसे मिलें परिवार

जागरूकता : पूरे राज्य में लिंग समानता अभियान चलाया जाए।

डीएनए डेटाबेस : आधार और डीएनए डेटाबेस से माता-पिता की हो।

आसान प्रक्रिया : गोद लेने की अवधि 6 महीने की जाए।

सख्ती : परित्याग पर 7 साल की सजा को सख्ती से लागू करें।

चुनौतियां और समाधान

भारत में गोद लेने की कम दर का कारण जटिल प्रक्रिया, जागरूकता की कमी और लिंग भेद (लड़कियों को प्राथमिकता कम) है। जयपुर और उदयपुर में 67 क्रैडल्स (आश्रय पालना) हैं, लेकिन केवल 20त्न प्रभावी। सरकार ने 2024 में 50 करोड़ रुपए से 20 नए क्रैडल और 10 एजेंसियां शुरू कीं।


पिछले पाँच वर्षों का परित्यक्त बच्चों से जुड़ा आँकड़ा (2020-2024)

वर्षपरित्यक्त बच्चेगोद लिए (भारत)गोद लिए (विदेश)शिशुगृह में
20202508020150
20212808525170
20222709030150
20232608035145
20242726560147
कुल1,332400170762

स्रोत: यूनिसेफ 2024, सीएआरए, राजस्थान स्वास्थ्य विभाग