बस्तर का नया ट्रेंड (Photo source- Patrika)
festive season: बस्तर को भले ही लोग पिछड़ा क्षेत्र मानते हों, लेकिन यहां के व्यापारी आधुनिकता की रफ्तार पकड़ चुके हैं। त्यौहारी सीजन में स्थानीय दुकानदार फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के जरिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उतर आए हैं। रील्स, स्टेटस और ग्रुप्स में लेटेस्ट कलेक्शन दिखाकर वे ग्राहकों को सीधे अपनी दुकानों तक खींच रहे हैं। नतीजा भरोसे वाली लोकल खरीदारी दोगुनी हो गई है, जबकि ऑनलाइन फ्रॉड और खराब क्वालिटी के डर से लोग बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से मुंह मोड़ रहे हैं।
कपड़े, फैंसी आइटम्स, गोल्ड ज्वेलरी समेत विभिन्न दुकानदारों का यह भरोसे का बाजार ऑनलाइन शॉपिंग को कड़ी चुनौती दे रहा है। व्यापारी समय के साथ अपडेट हो रहे हैं। डिजिटल टूल्स से वे घर बैठे स्टॉक दिखाते हैं, ग्राहक पसंद के हिसाब से दुकान पहुंचते हैं और कुछ ही मिनटों में सामान हाथों-हाथ ले जाते हैं। इससे न केवल बिजनेस बढ़ा, बल्कि फ्रॉड का खतरा और लंबा इंतजार भी खत्म हो गया।
स्थानीय बाजार को अब भरोसे का बाजार कहा जा रहा है, जहां सामान देखकर खरीदने का सुकून और रिश्तों का बंधन दोनों हैं। बस्तर के व्यापारियों का यह डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन त्यौहारों में बूम ला रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड न केवल लोकल इकोनॉमी को मजबूत करेगा, बल्कि डिजिटल इंडिया को ग्रामीण स्तर पर साकार करेगा।
festive season: व्यापारी पंकज परमार कहते हैं कि ऑनलाइन की खामियां जैसे फ्रॉड और क्वालिटी की शंका को समझकर हम डिजिटल का स्मार्ट उपयोग कर रहे। परमानेंट ग्राहकों को स्टॉक दिखाकर बिजनेस बढ़ा रहे हैं।
कपड़ा व्यापारी गौरव मूंदड़ा, जिनकी दुकान 40 साल पुरानी है, बताते हैं कि परिवारिक व्यापार को संभालते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाया। ट्रेडिशनल तरीके से मुश्किल हो गया था। अब बिजनेस बढ़ा और नए ग्राहक जुड़ रहे हैं। कम समय में बेहतर सामान पहुंचाने की यह ट्रिक काम कर रही है।
ग्राहक सोहल रजा ने कहा कि ऑनलाइन फ्रॉड और बैंक डिटेल चोरी का डर रहता है। लोकल दुकानदार के प्लेटफॉर्म पर स्टॉक देखकर दुकान जाकर खरीदने का सुकून अलग है। क्रेज अब कम हो रहा है।
सुनील कश्यप, खरीदार ने बताया कि खरीदारी के मूड में लंबा इंतजार मुश्किल। लोकल बाजार बेहतर है। भरोसा बनता है, तुरंत सामान मिलता है। स्थानीय दुकानदारों से खरीदने से रिश्ता और क्वालिटी का विश्वास दोनों रहते हैं। भरोसे का बाजार यही है।
Updated on:
19 Oct 2025 11:48 am
Published on:
19 Oct 2025 11:45 am
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