स्वास्थ्य तंत्र चारपाई पर (Photo source- Patrika)
CG News: शासन व प्रशासन अंतिम व्यक्ति तक अपनी योजनाओं को पहुंचाने का लाख दावा कर लें लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बस्तर में आज भी कई इलाके ऐसे हैं जहां आज शासन प्रशासन नहीं पहुंच पाया है। यही वजह है कि यहां के लोगों को आज भी आपातकालीन सुविधाओं के लिए एंबूलेंस सेवा तक नहीं पहुंच पाती। गांव वालों को साढ़े 4 किमी दूर तक मरीजों को खाट पर लेटाकर ले जाना पड़ता है। तब जाकर किसी तरह उनकी जान बच पाती है।
पिछले दिनों भी बस्तर के चितालगुर पंचायत के आश्रित ग्राम गुडिय़ापदर में एक गर्भवती महिला का मिसकैरेज (गर्भपात) हो गया। रात के गाढ़े अंधेरे में परिजनों को कोई चारा नजर नहीं आया। उन्होंने महिला को खाट पर लिटाकर साढ़े चार किलोमीटर का जंगल, नदी-नाले पार किया, ताकि चितालगुर पहुंच सकें। वहां से एंबुलेंस की मदद से पीड़िता को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया, जहां उसे भर्ती कराया गया।
गांव में मात्र 35 परिवार रहते हैं, ज्यादातर आदिवासी। यहां की महिलाओं के लिए गर्भावस्था पहले से ही जोखिम भरी होती है। मलेरिया, कुपोषण और जंगली जानवरों का खतरा। लेकिन सडक़ न होने से 108 एबुलेंस जैसी सेवाएं गांव तक पहुंच ही नहीं पातीं। परिजनों ने बताया कि मिसकैरेज की खबर मिलते ही उन्होंने तुरंत मदद मांगी, लेकिन रास्ते की दुर्गमता के कारण सब कुछ परंपरागत तरीके से ही करना पड़ा। एक ग्रामीणों ने बताया कि रात में जंगल पार करना मौत को दावत देना है, लेकिन बेटी की जान बचानी थी।
महिला की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो दिन में मेकाज में उसे करीब पांच युनिट ब्लड चढ़ाया जा चुका है। लेकिन अब भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक गंर्भ में पल रहा बच्चा पांच महिने का था, यहां आने से पहले ही मिसकैरेज हो चुका था। लेकिन ज्यादा खून बह जाने की वजह से महिला की हालत बेहद खराब हो गई थी। पिछले दो दिन में उसकी हालत में सुधार है। लेकिन खतरा बना हुआ है। लगातार महिला को मॉनिटरिंग में रखा जा रहा है। डॉक्टरों की महिला की जान बचाने के लिए जुटी हुई है।
CG News: यह गांव वन अधिकार अधिनियम का दर्जा प्राप्त है, यानी आदिवासी समुदायों के लिए विशेष सुरक्षा का प्रावधान। लेकिन हकीकत में यहां बुनियादी सुविधाओं का नामोनिशान नहीं। पेंगारास ग्राम से कच्चे रास्ते होकर पहुंचना पड़ता है, जहां न सडक़ है, न बिजली, न ही आंगनबाड़ी केंद्र। मात्र छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण विकास विभाग की ओर से लगाई गई सोलर प्लेट्स ही गांव की एकमात्र आधुनिक सुविधा हैं, जो रात के अंधेरे में भी परिवारों को थोड़ी रोशनी दे पाती हैं। स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं चितालगुर पंचायत तक सीमित हैं।
मामला 10 और 11 अक्टूबर के दरमियान रात का है। रात को अचानक महिला को पेट में दर्द की शिकायत हुई। जिसके बाद उसका गर्भपात हो गया। महिला खून से लथपथ मदद का इंतजार करती रही। लेकिन सडक़ न होने की वजह से यह संभव न था। ऐसे में परिवार वालों ने खाट को बांस के माध्यम से स्ट्रेचर बनाया और फिर एंबूलेंस तक पहुंचाने के लिए खुद ही आगे बढ़े। इस तरह वे करीब चार किमी तक खाट को कांधे पर लेकर चलते रहे।
Updated on:
14 Oct 2025 10:49 am
Published on:
14 Oct 2025 10:48 am
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