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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में होगा पक्षी सर्वे, जानेंगे उनके रहवास

जगदलपुर. बस्तर जिले में स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अपनी जैव विविधता के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यहां पाए जाने वाले जीव-जंतुओं के अलावा यहां के पक्षी भी खास है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 25 से 27 फरवरी के बीच 200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले उद्यान में सबसे बड़ा पक्षी सर्वे करवाया जा रहा है।इसमें 9 राज्यों के 70 विशेषज्ञ पक्षियों के अलग-अलग प्रजातियों का सर्वे करेंगे। बर्ड काउंट इंडिया और बर्ड एंड वाइल्ड लाइफ छत्तीसगढ़ के साथ मिलकर यह सर्वे किया जा रहा है।

200 वर्ग  किलोमीटर पार्क क्षेत्र में अब तक 201 प्रकार के प क्षियों का बसेरा
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पक्षी सर्वे के लिए विभाग ने स्थान चयनित कर लिया है उन उन स्थानों पर किया जाएगा सर्वे

पिछले साल 201 से अधिक प्रजातियों पर अध्ययन

पार्क के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर ने कहा कि पिछले वर्ष भी पक्षियों का अध्ययन किया गया था जिसमें 201 पक्षियों की प्रजातियां की पहचान की गई थी, जिसमें पहाड़ी मैना, ब्लैक हुडेड ओरियोल, भृंगराज, जंगली मुर्गी, कठफोड़वा, रैकेट टेल, सरपेंटाईगर आदि शामिल हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो रहा है कि राष्ट्रीय उद्यान पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। और देश के पक्षी प्रेमियों के लिए एक बर्डिंग हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा है। इस सर्वे से राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न पक्षियों के प्रजातियां की पहचान के साथ-साथ विशिष्ट पक्षियों के प्रजातियों के आपसी संबंध और रहवास के बारे में जानकारी प्राप्त होगी जिससे हमें आगे पक्षियों के संरक्षण योजना में मदद मिलेगी।

देश के कोने-कोने से आ रहे विशेषज्ञ व रिसर्चर

उद्यान के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर ने बताया कि इस पक्षी सर्वे में छत्तीसगढ़ के साथ ही पश्चिम बंगाल, महारष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से 70 से भी अधिक पक्षी विशेषज्ञ, रिसर्चर व वालंटियर शामिल हो रहे हैं। सभी कांगेर घाटी के अंतर्गत पक्षी अध्ययन के लिए अपना योगदान देंगे।

मैना मित्र है खास, पक्षियों के संरक्षण में करते हैं मदद

पार्क में मैना मित्र योजना संचालित है। जिसमें स्थानीय युवा और गांव के सदस्य पक्षियों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भागीदारी दे रहे हैं। इसके अलावा इको विकास समिति के सदस्य भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं, जिससे सामुदायिक सहयोग के साथ प्राकृतिक संरक्षण में सुधार हो रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना अब राष्ट्रीय उद्यान से लगे 15 से अधिक ग्रामों में दिखाई देने लगी है। मैना मित्रों की वजह से ही यह संभव हो पाया है