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एमपी में खतरनाक स्तर पर पहुंचा विजुअल पॉल्यूशन, कर रहा मानसिक बीमार, टूट रहीं हड्डियां

एमपी में खतरनाक स्तर पर पहुंचा विजुअल पॉल्यूशन, कर रहा मानसिक बीमार, टूट रहीं हड्डियां

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Visual pollution

Visual pollution

Visual pollution : नजर हटी दुर्घटना घटी ये स्लोगन शहर में कई जगह देखने पढऩे मिल जाएंगे, लेकिन हकीकत ये है कि नजर न हटे इसके लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है। जिम्मेदारों ने तो नजरें ही फेर रखी हैं। जिससे इस शहर में विजुअल पॉल्यूशन लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका खामियाजा यहां की सडक़ों पर चलने वाले आम लोगों को अपने हाथ पैर की हड्डिया और गाड़ी तुड़वाकर भुगतना पड़ रहा है। गली चौराहो पर लगे आकर्षक विज्ञापनों के चलते विजुअल पॉल्यूशन जमकर बढ़ रहा है। जो कुछ सेकेंडों में वाहन चालकों को दुर्घटना का शिकार बना रहे हैं।

Visual pollution : क्या है विजुअल पॉल्यूशन

  • शहर के मुख्य चौराहों, सडक़ो से लेकर गली मोहल्लों को बना दिया एडवरटाजिंग का अड्डा
  • नियम कायदों को ठेंगा दिखाकर बढ़ा रहा दृश्य प्रदूषण, जमकर हो रहे एक्सीडेंट
  • मनोविज्ञानियों ने कहा अधिकतर रोड एक्सीडेंट की वजह विजुअल पॉल्यूशन
  • आचार संहिता तक सिमटा संपत्ति विरुपण अधिनियम

जानकारों के अनुसार विजुअल पॉल्यूशन (दृश्य प्रदूषण) एक तरह का दृष्टि भ्रमित कर ध्यान राहगीरों के ध्यान को भटकाने का काम करता है। इसमें गली, चौराहों पर लगने वाले मनमोहक दृश्यों व बड़े-बड़े होर्डिंग, फ्लैक्स, बैनर आदि शामिल हैं। इसके कई तरह के नुकसान हैं। जिनमें प्रमुख तौर पर रोड एक्सीडेंट आते हैं। जो राहगीरों का थोड़ा सा ध्यान भटकने पर ही असर दिखा देता है।

Visual pollution : नहीं कोई नियम नीति, मनचाहे लगा रहे एडवारटाजिंग

शहर में कहने को तो होर्डिंग नीति लागू है। नियमानुसार सडक़ों के बीच या आसपास किसी भी तरह के प्रचार प्रसार की सामग्री को इस तरह से लगाया जाना चाहिए कि इससे वाहन चालकों को परेशानी न हो। ज्यादा लाइट वाले या सामने से अदृश्यता पैदा करने वाले नहीं होना चाहिए। किंतु इन सब बेसिक बातों को दरकिनार कर होर्डिंग माफिया मनमर्जी से एडवरटाइजिंग कर रहा है। जिससे अधिकतर राहगीर उनके होर्डिंग या विज्ञापन को देखने के चक्कर में दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

Visual pollution : आचार संहिता तक सिमटी कार्रवाई

फ्लैक्स बैनरों से पूरा शहर अटा पड़ा है। जिसे जहां मर्जी आती है अपना बधाई संदेश लगाकर चला जाता है। कई चौराहे और गलियां तो ऐसी हो गई हैं कि आमने सामने के वाहन चालक एक दूसरे को देख ही नहीं सकते हैं। संपत्ति विरुपण अधिनियम के तहत इन्हें हटाया जा सकता है, लेकिन नगर निगम की कार्रवाई केवल आचार संहिता तक सिमटकर रह गई है। इसके बाद शहर में कार्रवाई होती ही नहीं है।

Visual pollution : अधिकतर एक्सीडेंट में ध्यान भटकने की बात

जानकारों के अनुसार शहर के भीतर होने वाले अधिकतर रोड एक्सीडेंट में आकर्षक विज्ञापनों के होर्डिंग जिम्मेदार रहे हैं। लोगों का ध्यान भटकरने से उनके वाहन भिड़े या किसी अन्य ने उन्हें टक्कर मार दी।

Visual pollution : केस 1

कोचिंग से घर लौट रहे सिविल लाइंस निवासी विकास सिंह चौधरी शनिवार को नौदरा ब्रिज से तैयब अली पेट्रोल पंप की ओर जा रहा था। इसी बीच चौराहे पर पहुंचते ही जयंती कॉम्पलेक्स की ओर से आ रहे एक अन्य बाइक चालक ने उसे टक्कर मारकर गिरा दिया। जिससे उसे हाथ पैर में चोटें आईं। गाड़ी को टक्कर मारने वाले ने माफी मांगते हुए कहा कि सामने लगी स्क्रीन देखने लगा था, जिसके चलते वह उसे नहीं देख पाया।

Visual pollution : केस 2

मालवीय चौक पर परिवार के साथ स्कूटर पर यातायात थाने से गंजीपुरा की ओर जा रहे अभिषेक कुमार को एक ऑटो वाले ने पीछे से टक्कर मार दी। जिससे अभिषेक सहित उनकी पत्नी, बेटा भी गिर गए। हालांकि किसी को चोट नहीं आई। ऑटो चालक ने बताया कि चौराहे पर लगे फ्लैक्स को पढऩे लगा था, जिससे ऑटो को ब्रेक नहीं लगा पाया।

Visual pollution : विजुअल पॉल्यूशन एक तरह से राहगीरों के ध्यान को भटकाने का काम करता है। चटख रंगों व आकर्षक लाइटिंग वाले बोर्ड लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही लगाए जाते हैं। ये यातायात के लिए बहुत घातक हैं। इससे लोगों के ध्यान की एकाग्रता में भी कमी आती है। रोड या मुख्य चौराहों पर होने वाली वाहनों की भिड़त या अन्य दुर्घटनाएं विजुअल पॉल्यूशन के कारण ही हो रही हैं। क्योंकि आजकल का जो एड वल्र्ड ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित करने पर ही जोर दे रहा है। विजुअल पॉल्यूशन के चलते लोगों में ध्यान एकाग्र करने की क्षमता कमजोर होने के साथ मन को अस्थिर कर रहा है।

  • डॉ. रत्नेश कुररिया, मनोचिकित्सक, जिला अस्पताल

Visual pollution : किसी भी प्रचार प्रसार की सामग्री मुख्य मार्ग या चौराहे पर इस तरह से लगाई जानी चाहिए या इनकी दूरी इतनी तो होनी चाहिए कि ये जल्द से आकर्षित न करें और चलने वालों के मन को भ्रमित न करें। साथ ही सामने से आने वाले वाहनों को देखने में परेशानी न हो। ताकि किसी तरह की दुर्घटना न हो सके। आज हर शहर में प्रचार प्रसार सामग्री के चलते विजुअल पॉल्यूशन बढ़ रहा है। इसे कम करने की आवश्यकता है।

  • अंजना तिवारी, एएसपी, यातायात