emotional blackmailing
emotional blackmailing : एक तरफ प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान चलाते हुए भिखारियों पर कार्रवाई कर रही है, वहीं संस्कारधानी जबलपुर में दिनों दिन भिखारियों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। यहां हजारों की संख्या में छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग भीख मांगते गली, मोहल्ले से लेकर मुख्य बाजारों व पॉश इलाकों में देखे जा सकते हैं।
शहर में बढ़ते भिखारियों पर किसी तरह का एक्शन लेना तो दूर इनकी संख्या को नियंत्रित करने के लिए न तो जिम्मेदार अधिकारी इस ओर कोई पहल कर रहे हैं और न किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान जा रहा है। नतीजतन बाजारों से लेकर नर्मदा तटों तक भिखारियों का जमघट बढ़ रहा है। खासकर शहर में बाल भिक्षावृत्ति में जबरदस्त इजाफा देखा जा रहा है। अकेले सिविक सेंटर और गौरीघाट में करीब एक सैंकड़ा बच्चे महिलाएं भीख मांगते हुए देखे जा सकते हैं।
इमोशनल ब्लैकमेल करने में एक्सपर्ट ये भिखारी दुकानों, मॉल या चौपाटी पर पहुंचते ही लोगों को घेरकर खड़े हो जाते हैं। महिलाएं जहां गर्भवती होने का नाटक करती हैं, या छोटे-छोटे बच्चों को लेकर उनकी दुहाई देते हुए भीख मांगती हैं, वहीं तीन से पांच साल के बच्चे भी रोनी सूरत बनाकर लोगों की भावनाओं से खेल रहे हैं।
दशहरा के दूसरे दिन सिविक सेंटर में दो महिला भिखारिन आपस में झगड़ गईं। जिसकी वजह एक कार चालक महिला द्वारा दी गई भीख थी। जिसमें उसने पचास का नोट देते हुए आपस में बांटने को कहा था। लेकिन पैसा लेने वाली भिखारिन महिला के जाने के बाद पैसे देने से इंकार करने लगी थी। बातों बातों में पता चला कि सिविक सेंटर मॉल, चौपाटी, गौरीघाट सहित शहर के प्रमुख चौराहे इन्होंने आपस में बांट रखे हैं और इनकी एक दिन की कमाई 500 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक है। इसके अलावा खाने पीने का सामान अलग से मिल जाता है।
गौरीघाट में पितृमोक्ष अमावस्या पर भिखारियों ने दान पुण्य करने आए लोगों के साथ जमकर झीनाझपटी की थी। इसी दौरान एक भिखारी जब दान लेने के लिए घाट किनारे गया तो उसकी झोली किसी ने पार कर दी थी। जब वह लौटा तो उसने हल्ला मचाना शुरू कर दिया। तब पता चला कि उसमें महीने भर की भीख में मांगे हुए 40 हजार रुपए रखे हुए थे।
जिला परियोजना अधिकारी सौरभ सिंह ने बताया शहर को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में तैयारियां चल रही हैं। इस काम में स्थानीय एनजीओ, सामाजिक संगठनों की आवश्यकता होगी। क्योंकि भीख मांग रहे बच्चों, महिलाओं का पुनर्वास करना बहुत जरूरी होगा, ताकि वे दोबारा इस पेशे में न आएं। जिला कलेक्टर के सामने एजेंडा रखा जाएगा। इसके बाद इस प्रक्रिया को और गति दी जा सकेगी।
इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2023 की धारा 163 के तहत भीख देने और लेने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। साथ ही भिखारियों और भिक्षावृत्ति की सूचना देने वालों को एक हजार रुपए ईनाम देने की घोषणा भी की गई है। इसी साल में अब तक करीब 4500 लोगों का रेस्क्यू किया गया। ये सभी भिक्षावृत्ति में शामिल रहे हैं। इसमें 800 लोगों का पुर्नवास हुआ। इसमें 115 बच्चे व नाबालिग थे, साथ ही पौने दो सौ के करीब बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है।
emotional blackmailing : श्रम विभाग के अधिकारियों को इंदौर मॉडल को समझने के लिए कहा गया है। इसके बाद हम जबलपुर में इस दिशा में काम करना शुरू करेंगे। तीन से चार महीने का समय लग रहा है।
Published on:
14 Oct 2025 11:25 am
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