बरगी विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों ने वर्षों की उपेक्षा को दूर कर दीपावली पर विकास का दीप जलाने के लिए अनोखी पहल की है। हाईवे से कनेक्टिविटी की मांग पर सिस्टम की अनदेखी को दुरुस्त करने उन्होंने खुद ही गैंती-फावड़ा और तगाड़ी थाम ली। सैकड़ों आदिवासी खुद ही जंगल से सड़क निकालने के श्रमदान कर रहे हैं।
मामला जबलपुर जनपद की ग्राम पंचायत हुलकी का है, यहां वर्षों से सिवनी और जबलपुर जिले के आदिवासी मात्र तीन किलोमीटर की सडक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहे, पर समाधान नहीं मिला। आखिरकार ग्रामीणों ने अपने विकास का रास्ता खुद बनाने का निर्णय किया।
दरअसल, बरगी क्षेत्र के हुलकी गांव से लगे 25-30 गांवों की हाइवे की दूरी महज 3 किलोमीटर ही है। लेकिन वन भूमि होने से सडक़ का निर्माण नहीं हो रहा था। इससे इन गांवों के रहवासियों को हाइवे तक आने के लिए सिवनी जिले होकर 40 किलोमीटर का चक्कर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
परेशान ग्रामीण इस सडक़ के लिए जनसुनवाई से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक गुहार लगा चुके थे। धरना-प्रदर्शन से लेकर भूख हड़ताल भी की लेकिन अब तक आश्वासन ही मिलता रहा। हर बार वन विभाग की जमीन के कारण अनुमति नहीं मिलने का बहाना बनाया जाता रहा।
ग्रामीण बोले 'हमने कई बार मुख्यमंत्री, कलेक्टर और क्षेत्रीय विधायक से गुहार लगाई, हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। कोई सुनवाई नहीं हुई, तो सबने बैठक कर स्वयं सड़क बनाने का फैसला किया। इसमें जबलपुर के साथ ही सिवनी जिले के कई आदिवासी गांवों के लोग मिलकर श्रमदान कर रहे हैं।'
दरअसल, गांवों को हाइवे से जोडऩे वाला 3 किलोमीटर का जंगली मार्ग है। इस मार्ग से पैदल आवागमन ही संभव है। इसकी वजह से 40 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है। ग्रामीण इसी कच्ची सडक़ को अब आवागमन के लायक बना रहे हैं। इसके लिए सैकड़ों लोग गैंती-फावड़ा लेकर निकले और सडक़ के लिए जमीन का समतलीकरण शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क बनाने की मांग सड़क निर्माण करने वाले ग्रामीणों ने मार्ग को प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास पहुंच मार्ग योजना के तहत स्वीकृत करने की मांग की है ताकि यह पक्की सडक़ बन सके। इस दौरान ग्राम के शिव मरकाम, शंकरलाल मवेदी, कमला पटेल, रामजी सैवा्, कालीराम पंदे, कैलाश वीचाम, शीलचंद सहित अन्य ग्रामवासी सहित वन विभाग का अमला भी मौजूद रहा।
जबलपुर जिला - छपरा, बरेली पठार, सिलुवा, रमनपुर, बबैहा, देवद्वार, सालीकड़ा, नकाटिया को सीधा लाभ होगा।
सिवनी जिला- देहका, चुचिया, कुण्डा, सिल्पनी, रायचौर, रायचौर माल, बजरोला, गुलजार, जुगर, बंजर होला, समनापुर, महुआ, होला पटी, परतापुर, पंडाटोला और थावरी जैसे गांवों को भी राहत मिलेगी।
आदिवासियों द्वारा डिविजनल ऑफिस जबलपुर में सूचना दी गई थी। उसमें कहा गया था कि वे श्रमदान कर सड़क निर्माण करना चाहते हैं। उन्होंने जंगल को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाने का आश्वासन दिया है। वन विभाग की टीम भी मौके पर मौजूद है।
-सतीश रंगारी, डिप्टी रेंजर, कालादेही बीट, वन विभाग
Updated on:
20 Oct 2025 10:42 am
Published on:
20 Oct 2025 10:34 am
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