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जबलपुर के इस तालाब में पैदा होता है सबसे मीठा सिंघाड़ा, अब खतरे में आई खेती

जबलपुर के इस तालाब में पैदा होता है सबसे मीठा सिंघाड़ा, अब खतरे में आई खेती

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Water Chestnuts

Water Chestnuts

  • 250 परिवारों के अस्तित्व का सवाल, कर रहे पीढिय़ों से सिंघाड़ा की खेती खतरे में
  • आधे से ज्यादा तालाब पर होती है उच्च गुणवत्ता वाले सिंघाड़ा की खेती
  • सिंघाड़ा किसान बोले लगातार हो रहे अतिक्रमणेां और कम होते पानी से बढ़ रही चिंता

Water Chestnuts : बुढ़ान सागर तालाब केवल एक जल स्रोत या जल संरक्षण केन्द्र नहीं है, बल्कि सदियों से ये हजारों लोगों की रोजी रोटी का जरिया भी है। दशक बदलते रहे, लोग भी आते गए और जाते गए, पर तालाब ने अपना कर्तव्य पूरी तरह से निभाया और आज भी वो सैंकड़ों परिवारों को पेट पालने में मदद कर रहा है। हालांकि इसके खुद के अस्तित्व पर संकट आ खड़ा है, ऐसे में इसके जल से पलने वाले परिवारों में भी चिंता दिखाई देने लगी है। यहां देश भर में प्रसिद्ध मीठा सिंघाड़ा बड़ी मात्रा में उगाया जाता है। जो अब सिमटने लगा है।

Water Chestnuts : 250 किसान उगाते हैं देशी गुलरी


किसान और याचिकाकर्ता रज्जन बर्मन ने बताया वे कई पीढिय़ों से बुढ़ान सागर तालाब में सिंघाड़ा की खेती करते चले आ रहे हैं। इस तालाब में वर्तमान में 250 से ज्यादा स्थानीय किसान सबसे मीठे माने जाने वाले देशी गुलरी सिंघाड़ा की खेती कर रहे हैं। इस समय पूरे तालाब में जहां गहरा पानी है वहां 450 से 500 बांस की खेती लगी है। जो अगले महीने तक टूटने लगेगी। एक बांस की खेती से किसान को 15 से 20 क्विंटल सिंघाड़ा मिलता है। जो किसान चार बांस की खेती करता है, उसे साल भर में ढाई से तीन लाख की कमाई हो जाती है। यदि कुल 500 बांस खेती की बात करें तो आज भी बुढ़ान सागर तालाब में 10 हजार क्विंटल से ज्यादा का सिंघाड़ा लगा है।

Water Chestnuts : हर साल एक दो एकड़ सिमट रहा तालाब


किसानों ने बताया तालाब में सिंघाड़ा की खेती साल दर साल कम होती जा रही है। इसकी मुख्य वजह तालाब का सिमटना है। चारों तरफ से हो रहे अतिक्रमणों, पुराई और कम होते जलस्तर से इसे बचाना बहुत जरूरी हो गया है। पहले यहां आधे से ज्यादा तालाब पर सिंघाड़ा उगाया जाता था, अब बमुश्किल तीस प्रतिशत हिस्सा ही खेती के लिए उपर्युक्त बचा है। तालाब हर साल एक दो एकड़ कम होता जा रहा है।

Water Chestnuts : चालाकी से बढ़ा रहे किसानी जमीन


तालाब किनारे कुछ किसानों की खेती की जमीनें भी हैं, पहाडिय़ों की खुदाई के बाद पानी की आवक कम होने से तालाब किनारे सूखे तो इन किसानों ने हदबंदी करते हुए अपनी जमीनें बढ़ा ली हैं। ह्रदय नगर, देव नगर वाले तालाब के किनारों पर सबसे ज्यादा जमीन दबा ली गई है। जहां अब पानी भरने के बजाय खेती की जा रही है।

Water Chestnuts : याचिका में मांग, बंद हो माइनिंग, मुनारे लगाएं


जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने मांग की है कि तालाब के मुख्य कैचमेंट एरिया और पहाडिय़ों में तत्काल माइनिंग बंद कराई जाए। तालाब की सफाई हो और सीमांकन कर मुनारे लगाने के साथ इसे सुरक्षित किया जाए। ताकि भविष्य में इस तालाब पर किसी तरह का अतिक्रमण या अन्य कोई ऐसी गतिविधियां न हों जो इसके अस्तित्व को खतरे में डालें।

- एड. राजमणि मिश्रा