Munshi Premchand story : मुंशी प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी के पितामह हैं। वे साहित्य के ऐसे वटवृक्ष हैं, जिनकी छांव तले साहित्यकार पल्लवित हो रहे हैं। उन्होंने उस समय से इस समय के बीच के सफर के बीच अपनी उपिस्थति का सेतु बांधा है। उनकी लेखनी से किताबों में पढऩे के लिए मिला हामिद का प्रेम शामिल किया है, तो कभी बूढ़ी काकी के दर्द से रूबरू करवाया है। गबन में सूदखोरों की पोल भी खोली है और बड़े भाई साहब के जरिए रिश्तों के ताने-बाने को भी दर्शाया है। प्रेमचंद का साहित्य वर्तमान परिदृश्य में भी प्रासंगिक है। मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर युवाओं का कहना है कि उनके साहित्य ने पथप्रदर्शन का काम किया है।
हिन्दी प्रोफेसर डॉ. अरुण शुक्ल का कहना है कि उस समय से इस समय में कोई बदलाव नहीं आया है, इसलिए मुंशी प्रेमचंद प्रसांगिक हैं। उनका लेखन उस समय में किसानों के कर्ज और ग्रामीण परिवेश से जुड़ा हुआ था, वह स्थिति आज भी किसानों के साथ बनी है। उनका लेखन अब भी सोचने पर मजबूर करता है। उनके कई व्यंग्य भी ऐसे हैं, जो वर्तमान की परिस्थितियों से हिसाब से एकदम सटीक बैठते हैं।
शहर में युवाओं का साहित्य के क्षेत्र में अब दखल बढ़ रहा है। यूं कहें कि सोशल मीडिया ने लोगों को लेखन के लिए प्रेरित करने का काम किया है। अब जबकि वे इक्का-दुक्का लाइन लिखने लगे हैं, तो उनकी सोच साहित्य को समझने के लिए भी हो चुकी है। यही वजह है कि मुंशी प्रेमचंद की किताबों की दुनिया में खोना उन्हें रास आ रहा है। स्कूल से कॉलेज तक मुंशी प्रेमचंद का साथ मिलने तक ही अब वे सीमित नहीं हैं, क्योंकि प्राइवेट बुक डिपोज में जाकर वे खुद को साहित्य के ओर करीब ले जाने के लिए मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों को पढऩे का काम कर रहे हैं।
साहित्य की बात करें तो मुंशी प्रेमचंद का लेखन इसकी जड़ है। किताबों से लेकर मंचन के दौरान उनके तर्क देखे और सुने जाते हैं। नाट्य लोक संस्था के दविन्दर सिंह ग्रोवर ने बताया कि शहर में मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर आधारित कई नाटकों का मंचन हो चुका है। इसमें बड़े भाई साहब और पेट पूजा परम पूजा, निमंत्रण का मंचन लोगों के बीच पसंद की गई है। उस समय में जो समस्याओं को उन्होंने उठाया था, वह अब भी जस की तस बनी हुई है।
Published on:
31 Jul 2024 02:04 pm