indore news (फोटो सोर्स : पत्रिका)
MP News: इंदौर के चंदन नगर बोर्ड कांड में उलझे नगर निगम के अधिकारी वैभव देवलासे और मनीषा राणा को जल्दी बहाल करने पर निगम परिषद में जनप्रतिनिधियों ने घेराबंदी की, लेकिन सस्पेंड कर जल्द बहाली और विभागीय जांच में भेदभाव के और भी मामले हैं। निलंबित होने वाले बेफिक्र रहते हैं। ऐसे लोगों को बहाल करने का आदर्श नियम नहीं है। सब कुछ ‘जमावट’ पर निर्भर करता है। यदि दोषी अधिकारी के पास रसूख है या अफसरों से मधुर संबंध हैं तो उसे जल्द बहाल कर दिया जाता है। जिनके पास यह सुविधा नहीं है, वे प्रक्रिया में उलझे रहते हैं।
मालवा मिल के निर्माणाधीन पुल पर हादसे में एक युवक की मौत का दोषी मानते हुए तत्कालीन निगमायुक्त शिवम वर्मा ने मस्टरकर्मी सिद्धांत मेहता की सेवा समाप्त और उपयंत्री खुमेश्वरी मराठे को निलंबित किया था। कुछ ही दिन में मेहता को बहाल कर दिया। मराठे इंतजार कर रहे हैं। मेहता के आदेश को छिपाने का भी प्रयास किया गया। इसकी नियमित कॉपी महापौर पुष्यमित्र भार्गव के कार्यालय को नहीं भेजी गई।
मेहता को जोन 3 पर पोस्टिंग दी गई। मेहता की फील्ड में महापौर से मुलाकात हुई तो उन्होंने पूछा कि सेवा समाप्त वाला कैसे काम कर रहा है। महापौर ने डाक भेजने वाले कर्मचारी को तलब किया कि इसकी कॉपी उनके कार्यालय तक क्यों नहीं पहुंची तो उसने महापौर के सामने स्वीकार कर लिया कि स्थापना शाखा के बड़े अधिकारी ने आदेश को बाहर जाने से रोकने का कहा था। मेहता की बहाली पर महापौर ने निगम के एक अधिकारी को फटकार भी लगाई थी। दूसरी ओर, राजस्व विभाग में वर्षों पहले हुई गड़बड़ी के आरोप में करीब दर्जनभर अधिकारियों को हटाया था, इनकी भी बहाली नहीं हुई है।
Published on:
21 Oct 2025 10:05 am
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