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Kuposhan: मध्य प्रदेश में कुपोषण ने फिर ली मासूम की जान, जानिए इसके लक्षण और समय रहते इलाज के तरीके

Kuposhan: कुपोषण से पीड़ित चार महीने के हुसैन रजा की मौत हो गई। 18 अक्टूबर को परिजन शिशु को अस्पताल लाए थे। यह एक ऐसी बीमारी है जो सही पोषण की कमी के कारण होती है।

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भारत

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MEGHA ROY

Oct 22, 2025

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Child nutrition and health awareness|फोटो सोर्स – Freepik

Kuposhan Symptoms: एक बार फिर कुपोषण ने एक मासूम की जान ले ली है, जिससे यह गंभीर समस्या और भी उजागर हो रही है।मध्य प्रदेश के सतना जिले का मामला। जिला अस्पताल में अति गंभीर कुपोषण से पीड़ित चार महीने के हुसैन रजा की मौत हो गई। 18 अक्टूबर को परिजन शिशु को अस्पताल लाए थे। यह एक ऐसी बीमारी है जो सही पोषण की कमी के कारण होती है और इसके लक्षण शुरुआत में पहचानना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, सही समय पर इलाज और सावधानी से इससे बचाव किया जा सकता है। आइए, जानते हैं कुपोषण के लक्षण, इसके कारण और बचाव के उपाय, ताकि हम सभी मिलकर इसे रोक सकें।

कुपोषण क्या है?

कुपोषण एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे शरीर का सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। शरीर को ठीक से चलाने के लिए जो पोषक तत्व जरूरी होते हैं, जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, पानी, वसा और लवण, इनका उचित मात्रा में होना जरूरी है। अगर आहार में ये तत्व नहीं मिल पाते हैं, तो व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो सकता है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार


भारत में लगभग 16% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, जिनमें से 5 साल से कम उम्र के करीब 3 करोड़ बच्चे प्रभावित हैं। पोषण ट्रैकर के अनुसार, 37.07% बच्चे नाटेपन और 19.3% बच्चे वजन में कमी से पीड़ित हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार, 35.5% बच्चे बौने हैं, 32.1% बच्चे कम वजन वाले हैं, और 7.7% बच्चे वेस्टिंग से ग्रस्त हैं।

कुपोषण के प्रकार

अल्पपोषण (Undernutrition)


जब शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है और इसका असर हाइट और वेट पर पड़ता है, तो इसे अल्पपोषण कहते हैं। यह स्थिति तब बनती है जब आहार में पर्याप्त पोषण की कमी हो।

अतिपोषण (Overnutrition)


अतिपोषण में शरीर को अधिक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे वजन बढ़ता है और मोटापा, डायबिटीज, स्ट्रोक, और हृदय रोग जैसी नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियां हो सकती हैं।

कुपोषण के लक्षण

  • मानसिक दबाव (डिप्रेशन)
  • चिड़चिड़ापन और उत्तेजना
  • शरीर में असामान्य रूप से वसा की कमी
  • थकावट और कमजोरी
  • इंफेक्शन और चोट का जल्दी ठीक न होना
  • कम सेक्स ड्राइव
  • सांस लेने में समस्याएं

कुपोषण के कारण

  • उचित और सस्ते आहार की कमी
  • अत्यधिक शराब का सेवन, जिससे प्रोटीन और कैलोरी की कमी होती है।
  • पाचन संबंधित समस्याएं, जैसे क्रोहन रोग या आंतों में बैक्टीरिया का बढ़ना।
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अवसाद, जो कुपोषण को बढ़ावा देती हैं।

कुपोषण से बचाव के उपाय

  • संतुलित आहार लें: कुपोषण से बचाव के लिए फल, सब्जियां, प्रोटीन, अनाज, और पौष्टिक भोजन का सेवन करें। यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को प्रदान करता है।
  • नियमित रूप से खाना खाएं: खानपान का नियमित पालन करें और कभी भी आहार को मिस न करें।
  • डेयरी उत्पादों का सेवन करें: दूध, दही और पनीर जैसे डेयरी उत्पादों को अपनी डाइट में शामिल करें, जो शरीर के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करते हैं।
  • तले-भुने और मीठे खाद्य पदार्थों से बचें: तली-भुनी चीजों और ज्यादा शर्करा वाले खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि इनका पोषण कम होता है और कैलोरी अधिक होती है।
  • खनिज और विटामिन का सेवन करें: विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां और फल।
  • भरपूर पानी पिएं: शरीर को हाइड्रेटेड रखना जरूरी है, इसलिए रोजाना पर्याप्त पानी पिएं।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: नियमित व्यायाम करें, अच्छी नींद लें और तंबाकू तथा शराब के सेवन से बचें।
  • गर्भावस्था में सही पोषण: गर्भवती महिलाओं को संतुलित और पोषण से भरपूर आहार लेने की आवश्यकता होती है, ताकि वह और उनका बच्चा स्वस्थ रह सकें।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं: कई सरकारी योजनाएं कुपोषण से लड़ने में मदद करती हैं। इन योजनाओं का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करें।