Jaw dislocation causes and treatment : पलक्कड़ जंक्शन बना 'इलाज स्टेशन'! यात्री का जबड़ा उतरा, डॉ. जिथिन ने मिनटों में किया ठीक (फोटो सोर्स: Southern Railway)
Jaw dislocation Causes and Treatment : क्या आपने कभी सोचा है कि सफर के दौरान अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए तो क्या होगा? ऐसी ही एक हैरान कर देने वाली घटना विवेक एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 22503) में हुई। एक यात्री का जबड़ा (Jaw) अचानक अपनी जगह से उतर गया। यह ट्रेन कन्याकुमारी से डिब्रूगढ़ के लंबे सफर पर थी।
मामला पलक्कड़ जंक्शन (Palakkad Junction) स्टेशन का है। ट्रेन में सवार एक 24 वर्षीय यात्री के साथ अचानक एक अजीबोगरीब घटना घटी। उनका जबड़ा (Jaw) अचानक अपनी जगह से उतर गया (Dislocation) सोचिए अगर आप ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं और अचानक आप न तो बोल पा रहे हैं, न मुंह बंद कर पा रहे हैं। यह स्थिति कितनी भयानक हो सकती है। जबड़े का उतरना (Mandibular Dislocation) अक्सर जोर से जम्हाई लेने, मुंह बहुत खोलने, या किसी चोट के कारण हो सकता है। यह तुरंत दर्द और बोलने-खाने में परेशानी पैदा कर सकता है।
पलक्कड़ रेलवे अस्पताल के मंडल चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितिन पी.एस. स्टेशन पर पहुंचे और एक यात्री की मदद की, जिसे अचानक जबड़े में दिक्कत हो गई थी। दक्षिण रेलवे ने 11 अक्टूबर को जारी एक वीडियो में बताया कि इलाज के बाद यात्री तुरंत ठीक हो गया और अपनी यात्रा जारी रख सका।
डॉक्टर जिथिन ने अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए, बिना किसी बड़े उपकरण के जिसे मेडिकल भाषा में मैनुअल रिडक्शन (Manual Reduction) कहते हैं, तुरंत जबड़े को वापस उसकी जगह पर बिठा दिया। यह प्रक्रिया बहुत सावधानी और कौशल मांगती है।
अब जानते हैं कि आखिर जबड़े का डिस्लोकेशन यानी जबड़ा खिसकना क्या होता है, क्यों होता है और इसका इलाज कैसे किया जाता है।
जबड़े का डिसलोकेशन (Jaw Dislocation) मतलब होता है जब हमारा निचला जबड़ा (Mandible) अपनी जगह से खिसक जाता है। ये जगह होती है टेम्पोरोमैंडिब्युलर जॉइंट (TMJ), जहां जबड़ा सिर की हड्डी से जुड़ा होता है।
जब मुंह बहुत ज्यादा खुल जाता है (जैसे जम्हाई लेते समय या कुछ सख्त चीज खाते हुए), तो जबड़ा अपने सॉकेट से बाहर खिसक सकता है।
ऐसा होने पर ये लक्षण दिख सकते हैं:
कई बार जबड़ा आगे या साइड में फिसल जाता है, जिससे जोड़ (joint) ठीक से काम नहीं कर पाता। ये समस्या एक बार (acute) भी हो सकती है या बार-बार (recurrent) भी, और कभी-कभी दोनों तरफ के जोड़ प्रभावित होते हैं।
सोचिए, अगर सही समय पर मदद नहीं मिलती तो यात्री की हालत कितनी खराब हो सकती थी। लेकिन डॉक्टर जिथिन की त्वरित कार्रवाई (Prompt Action) और सूझबूझ के कारण, यात्री को तुरंत राहत मिली और उन्हें आगे के इलाज के लिए अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। उनका इलाज प्लेटफॉर्म पर ही पूरा हो गया, और वह सुरक्षित रूप से अपनी आगे की यात्रा जारी रख पाए। यह घटना भारतीय रेलवे में तत्काल चिकित्सा सहायता की उपलब्धता और महत्व को दर्शाती है।
यह सिर्फ एक घटना नहीं है, यह बताता है कि भारतीय रेलवे अपने यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है।
डॉक्टर ऑन कॉल पहल: कई बड़े स्टेशनों पर, रेलवे ने 'डॉक्टर ऑन कॉल' जैसी पहल शुरू की है, जिसमें इमरजेंसी की स्थिति में, स्टेशन के आसपास के डॉक्टर्स को तुरंत बुलाया जा सकता है।
ट्रेनों में प्राथमिक उपचार किट: सभी लंबी दूरी की ट्रेनों में प्राथमिक उपचार किट (First Aid Kit) और प्रशिक्षित रेलकर्मी होते हैं जो छोटी-मोटी चोटों या स्वास्थ्य समस्याओं में मदद कर सकते हैं।
अस्पतालों से सहयोग: रेलवे ने कई प्रमुख अस्पतालों के साथ भी समझौता किया हुआ है ताकि गंभीर मामलों में मरीज को तुरंत और सही जगह पहुंचाया जा सके।
क्या आप जानना चाहेंगे कि भारतीय रेलवे में आपातकालीन स्थिति में आप किन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं?
भारतीय रेलवे ने यात्रियों की हर जरूरत और आपात स्थिति के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (Integrated Helpline Number) जारी किया है।
139 भारतीय रेलवे का वह टोल-फ्री नंबर है, जो आपको यात्रा के दौरान लगभग हर समस्या के लिए सहायता प्रदान करता है। इसे रेल मदद हेल्पलाइन (Rail Madad Helpline) भी कहा जाता है। यह नंबर 12 भाषाओं में उपलब्ध है।
जब आप 139 पर कॉल करते हैं, तो आपको अपनी जरूरत के हिसाब से एक नंबर दबाना होता है।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
Updated on:
21 Oct 2025 10:32 pm
Published on:
21 Oct 2025 12:31 pm
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