How To dispose Expired Medicine : अक्सर घर पर कई दवाईयां पड़ी रह जाती हैं और हम उसे नजरअंदाज करते हैं। या फिर, कुछ लोग उन एक्सपायर या अनुपयोगी दवाओं को डस्टबिन में फेंक देते हैं। मगर, ये दोनों ही तरीका हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने ऐसी 17 दवाओं की लिस्ट शेयर करके उनको टॉयलेट में फ्लश करने की सलाह दी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये सही तरीका है? इस बात को समझने के लिए हमने डॉक्टर और पर्यावरण शोधकर्ता से बातचीत की।
एक्सपर्ट 1- डॉ. हिमांशु गुप्ता, फिजिशियन
एक्सपर्ट 2-सुनंदा भोला, एनवायरोमेंटल रिसर्चर
1- फेंटानिल
2- फेंटानिल साइट्रेट
3- मॉर्फिन सल्फेट
4- ब्यूप्रेनॉर्फिन
5- ब्यूप्रेनॉर्फिन हाइड्रोक्लोराइड
6- मिथाइलफेनिडेट
7- मेपरिडीन हाइड्रोक्लोराइड
8- डायजेपाम
9- हाइड्रोमोर्फोन हाइड्रोक्लोराइड
10- मेथाडोन हाइड्रोक्लोराइड
11- हाइड्रोकोडोन बिटार्ट्रेट
12- टैपेंटाडोल
13- ऑक्सीमोर्फोन हाइड्रोक्लोराइड
14- ऑक्सीकोडोन
15- ऑक्सीकोडोन हाइड्रोक्लोराइड
16- सोडियम ऑक्सीबेट
17- ट्रामाडोल
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने इन दवाओं को फ्लश करने की पीछे वजह बताई है कि इन दवाओं को गलती से सेवन करना नुकसानदेह हो सकता है। साथ ही डस्टबिन में फेंकने से ये जानवरों, पर्यावरण आदि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए ऐसी अनुपयोगी दवाओं को टॉयलेट में फ्लश करने की सलाह दी।
डॉ. हिमांशु गुप्ता, फिजिशियन ने बताया, घर में एक्सपायरी दवा या अनयूज्ड मेडिसीन होती हैं। ये बहुत अधिक मात्रा में होती है। सोचिए, अगर करोड़ों भारतीय इन दवाओं को फ्लश करने लगे तो इसका क्या असर होगा। इस सलाह से गलत परिणाम मिल सकते हैं। इससे केमिकल हजार्ड की संभावना हो सकती है। अगर हम इनको फ्लश कर रहे हैं तो ये केमिकल्स कई बार तुरंग रिएक्ट कर सकते हैं। या फिर सीवरेज टैंक में मिलकर अगर रिएक्श करेंगे तो भी नुकसान हो सकता है। भले ही सुरक्षा को लेकर ये सलाह दी गई है लेकिन, ये तरीका सुरक्षित नहीं मालूम हो रहा है।
पर्यावरण व माइक्रोप्लास्टिक पर लंबे समय से शोध कर रही सुनंद भोला कहती हैं, मेडिकल वेस्ट (एक्सपायरी दवा या अनयूज्ड मेडिसीन) को इस तरह फ्लश करना सुरक्षित नहीं है। एंटीबॉयोटिक्स या अन्य दवाईयों के केमिकल्स सीवरेज वॉटर के साथ मिलकर खतरनाक स्थिति को जन्म दे सकते हैं। वो इसके खतरनाक प्रभावों के बारे में बताई हैं-
वो इस पर कहती हैं, मेडिकल वेस्ट को अनुचित तरीके से डंप करना जीव-जंतु, पेड़-पौधे, मिट्टी व जल सबके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। हम लोग अक्सर पानी पर शोध के दौरान दवाओं के स्ट्रीप पाते हैं, सीरप बोटल आदि पाते हैं। अगर दवाओं को सीधे फ्लश किया जाए तो वो सीवरेज में जाकर जल स्त्रोतों में मिलेंगे, क्योंकि वो गंदा पानी किसी ना किसी नाला, नदी आदि में मिलते हैं। इससे जीव जंतु को खतरा, यही पानी मिट्टी में मिलेगा तो कृषि के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे कई प्रकार के प्रदूषण के बढ़ने का खतरा साफ दिख रहा है।
इतना ही नहीं दवाओं की पैकिंग वाले प्लास्टिक HDPE व PET (प्लास्टिक के प्रकार) से बने होते हैं। इनको सड़ने या गलने में करीब 100 साल से अधिक का समय लगता है। ये पानी में मिलकर माइक्रोप्लास्टिक जैसे गंभीर प्रदूषण को बढ़ाने का काम करेंगे। इसलिए कचरा दवाओं का उचित व सावधानीपूर्ण डंपिंग कराना बेहद जरूरी है। जिस तरह से सूखा व गीला कचरा का बॉक्स होता है वैसे ही मेडिकल वेस्ट बॉक्स भी होना चाहिए। हमारी सरकार को इसको लेकर सोचने की आवश्यकता है।
डॉ. हिमांशु ने भी कहा कि इसकी जगह हमें इन बातों पर ध्यान दरअसल, एक्सपायर्ड दवाओं को मेडिकल वेस्ट नियमों के अनुसार कलेक्ट करना चाहिए। दिल्ली में मैंने देखा है कि कुछ संस्था अनयूज्ड दवाओं को कलेक्ट करके जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम करती है। इस तरह से अनयूज्ड दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
Updated on:
11 Jul 2025 06:06 pm
Published on:
11 Jul 2025 01:10 pm