
Atrial Cardiomyopathy : एट्रियल कार्डियोमायोपैथी से तीन गुना बढ़ता है स्ट्रोक और हार्ट फेलियर का खतरा (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Atrial Cardiomyopathy : सोचिए आपके घर का एक कमरा धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है। बाहर से सब ठीक दिखता है, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी दीवारें खोखली हो रही हैं। हमारे दिल में भी कुछ ऐसा ही होता है। जिस बीमारी को हम लंबे समय से नजरअंदाज कर रहे थे – एट्रियल कार्डियोमायोपैथी (Atrial Cardiomyopathy) – वह अब हमारे दिल और दिमाग दोनों के लिए एक बड़ा खतरा बनकर सामने आई है।
पहले डॉक्टर्स इसे बस 'एट्रियल फिब्रिलेशन' (AF, दिल की असामान्य धड़कन) का छोटा-सा हिस्सा मानते थे। लेकिन अब नई रिसर्च ने खुलासा किया है कि यह बीमारी खुद में एक बहुत बड़ा जोखिम है, जो सीधे आपको स्ट्रोक (पक्षाघात) और हृदय गति रुकने (Heart Failure) के मुहाने पर खड़ा कर सकती है।
यूके बायोबैंक के 26,000 से ज्यादा लोगों पर किए गए इस बड़े अध्ययन में पाया गया कि करीब 16% लोगों में आलिंद कार्डियोमायोपैथी (Atrial Cardiomyopathy – ATCM) के कम से कम एक संकेत (Marker) मौजूद थे, और लगभग 2% लोगों में दो या उससे ज्यादा संकेत पाए गए।
| श्रेणी (Category) | प्रतिशत (Percentage) | संबद्ध जोखिम कारक (Associated Risk Factors) |
| कम से कम एक ATCM मार्कर | 15.7% | उम्र (Age) |
| दो या अधिक ATCM मार्कर | 2.3% | उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) |
| कोरोनरी धमनी रोग (Coronary Artery Disease) | ||
| --- | --- | --- |
जो लोग ज्यादा उम्र के थे या जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट की नसों में ब्लॉकेज (कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज) थी, उनमें यह समस्या ज्यादा देखने को मिली।
| परिणाम (Outcome) | मार्करों की संख्या (Number of Markers) | जोखिम अनुपात (HR) | 95% कॉन्फिडेंस लेवल (CI) |
| एट्रियल फिब्रिलेशन (AF) | एक मार्कर | 1.88 | 1.54 – 2.31 |
| एट्रियल फिब्रिलेशन (AF) | दो या अधिक मार्कर | 4.59 | 3.52 – 5.99 |
| हृदय गति रुकना (Heart Failure) | (दो या अधिक मार्करों के लिए) | 3.08 | 2.03 – 4.66 |
| स्ट्रोक (Stroke) | (दो या अधिक मार्करों के लिए) | 3.07 | 1.78 – 5.28 |
अगर किसी व्यक्ति में ATCM का एक मार्कर था, तो उसमें एट्रियल फिब्रिलेशन (AF) यानी दिल की धड़कन के अनियमित होने का खतरा लगभग दोगुना (1.88 गुना) था। और जिनमें दो या उससे ज्यादा मार्कर थे, उनमें यह जोखिम लगभग पांच गुना (4.6 गुना) बढ़ गया था।
इसी तरह, इन लोगों में हार्ट अरेस्ट (दिल की धड़कन रुकना) का खतरा तीन गुना और स्ट्रोक (फालिज) का खतरा भी तीन गुना ज्यादा पाया गया। जब डॉक्टरों ने इन ATCM मार्करों को एएफ (AF) के जोखिम की गणना में शामिल किया, तो भविष्यवाणी की सटीकता करीब 14% (13.7%) बेहतर हो गई।
शोधकर्ताओं ने पाया कि एटीसीएम एएफ, हृदयाघात (एचएफ) और स्ट्रोक के लिए एक साझा आधार हो सकता है, जिससे पता चलता है कि गंभीर जटिलताओं को रोकने में शीघ्र पहचान महत्वपूर्ण हो सकती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल बहु-सूचकांक वाले लोगों को ही सबसे अधिक जोखिम का सामना करना पड़ा, जो दर्शाता है कि जोखिम स्तरीकरण निवारक देखभाल का मार्गदर्शन कर सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर, कोरोनरी धमनी रोग और अत्यधिक शराब के सेवन जैसे परिवर्तनीय कारकों को कम करने से रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद मिल सकती है। आगे के शोध, जिसमें चल रहे रेस एक्स परीक्षण भी शामिल है, का उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि क्या कैथेटर एब्लेशन जैसे हस्तक्षेप एटीसीएम को रोक सकते हैं या उलट सकते हैं। चिकित्सकों के लिए, ये निष्कर्ष हृदय संबंधी देखभाल में एटीसीएम की शीघ्र पहचान और व्यापक प्रबंधन के महत्व को पुष्ट करते हैं।
Reference : यह जानकारी Vad और उनके साथियों द्वारा किए गए एक अध्ययन से ली गई है, जो “Atrial cardiomyopathy: markers and outcomes” नाम से European Heart Journal में 2025 में प्रकाशित हुआ था (लेख कोड: ehaf793)।
Published on:
27 Oct 2025 12:04 pm
बड़ी खबरें
View Allस्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल

