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देश का पहला मंदिर जहां परिवार सहित विराजे भगवान चित्रगुप्त

दोनों पत्नियां और 12 पुत्र हैं साथ, अन्य देवी-देवताओं की भी की गई है स्थापना

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देश का पहला मंदिर जहां परिवार सहित विराजे भगवान चित्रगुप्त

देश का पहला मंदिर जहां परिवार सहित विराजे भगवान चित्रगुप्त

ग्वालियर. कायस्थ छात्रावास, दौलतगंज में नवनिर्मित चित्रगुप्त धाम में गुरुवार को भगवान चित्रगुप्त की प्राण प्रतिष्ठा गई। यहां भगवान चित्रगुप्त अपनी दोनों पत्नियों और 12 पुत्रों के साथ विराजमान हैं। यह देश का पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान चित्रगुप्त 6 फीट ऊंचे सिंहासन पर अपनी दोनों पत्नियों माता ईरावती (शोभावती) और माता दक्षिणा (नंदिनी) और सभी 12 पुत्रों के साथ विराजमान हैं। इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने भगवान चित्रगुप्त की पुरानी मूर्ति भी स्थापित की गई है। साथ ही यहां मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, गणेश, हनुमान, राम दरबार, शिव-पार्वती और राधा किशन की भी स्थापना की गई है। पांच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन वैदिक विद्वान पं.गिर्राज गुरु के आचार्यत्व में शिखर पूजन किया। इसके उपरांत हवन-पूजन कर मुख्य यजमान अशोक निगम के साथ यजमान वैभव श्रीवास्तव, विजय सक्सेना, आरएन श्रीवास्तव, बॉबी श्रीवास्तव, समीर खरे सहित कायस्थ समाज के लोगों ने पूर्णाहुति दी। प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत सभी भगवान का विशेष शृंगार किया गया। इस अवसर पर फूल बंगला सजाया गया और छप्पन भोग लगाए गए। इसके बाद संतों का सम्मान किया गया। सम्मानित होने वाले संतों में प्रमुख रूप से दंदरौआ सरकार संत रामदास, सच्चिदानंद संत ढोलीबुवा, संतोष गुरु, संत रमेशलाल, गिर्राज गुरु और उनकी टीम सहित अन्य संत शामिल थे। इसके बाद शाम को भंडारा हुआ।

चलो बुलाया आया है माता ने बुलाया...भजन पर झूमे श्रोता
चित्रगुप्त धाम में हुई भजन संध्या में भजन कलाकार राम उपाध्याय ने जब चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है...भजन गाया तो वहां मौजूद श्रद्धालु झूमने लगे। इसके बाद उन्होंने देवा ओ देवा गणपति देवा..., कालि कमली वाला मेरा यार है, साथी हमारा कौन बनेगा, और किसने किया शृंगार सावरे सहित कई भजन सुनाए।