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तो 2050 तक ग्वालियर के 6 हजार हेक्टेयर में सिंचाई के लिए नहीं मिल पाएगा पानी… एक्सपर्ट ने बताई यह वजह

हरसी बांध में तेजी से सिल्ट (मिट्टी) का जमाव हो रहा है। 88 साल में 26.69 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) मिट्टी का जमाव हो चुका है। 2050 तक यह बढकऱ 34.14 एमसीएम पर पहुंच जाएगी। इससे बांध की जलभराव क्षमता प्रभावित होगी। 34.79 एमसीएम मिट्टी जमा होने पर ...

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harsi dam

harsi dam

ग्वालियर. हरसी बांध में तेजी से सिल्ट (मिट्टी) का जमाव हो रहा है। 88 साल में 26.69 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) मिट्टी का जमाव हो चुका है। 2050 तक यह बढकऱ 34.14 एमसीएम पर पहुंच जाएगी। इससे बांध की जलभराव क्षमता प्रभावित होगी। 34.79 एमसीएम मिट्टी जमा होने पर जिले की 6262 हेक्टेयर भूमि की ङ्क्षसचाई क्षमता कम होगी। यह खुलासा हुआ है नेशनल रजिस्टर ऑफ लार्ज डैम्स संस्था (एनआरएलडी) की रिपोर्ट में। नेशनल रजिस्टर ऑफ लार्ज डैम्स संस्था ने 30 राज्य के 5 हजार 701 बाधों का सर्वे किया। जिसमें मध्य प्रदेश के 62 बांध शामिल हैं। इसमें 100 साल से अधिक व 100 से कम उम्र के बाधों की सिल्ट की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें ग्वालियर का हरसी बांध शामिल किया गया है।

यहां होती है हरसी के पानी से सिंचाई

हरसी बांध से ग्वालियर के डबरा, भितरवार व मुरार क्षेत्र में सिंचाई होती है। हरसी बांध का निर्माण 1935 में किया गया था। हरसी बांध की जिले की आर्थिक स्थिति में अहम भूमिका भी है, क्योंकि इसके भरोसे खरीफ व रबी की फसलें निर्भर करती हैं। हरसी बांध में शिवपुरी क्षेत्र में होने वाली बारिश का पानी पहुंचता है। बारिश से जो मिट्टी का कटाव हो रहा है, वह मिट्टी हरसी बांध में एकत्रित हो रही है। मिट्टी की वजह से जलभराव क्षमता कम रही है। बांध का जो डेड स्टोरेज है। वह भी कम हुआ है।

प्रदेश के सात बांधों में 2050 तक सिल्ट जमा होने की स्थिति

बांध------------2023 तक सिल्ट ------------2050 तक सिल्ट
गांधी सागर------------810.48------------1152.40
हलालि------------68.21------------106.58
हरसी------------26.69------------34.79
थानवर------------15.76------------26.14
अपर वैनगंगा------------57.41------------110.85
बरगी------------206.37------------370.36
तवा------------454.03------------814.58
(आंकड़ा क्यूबिक मीटर में है)

नए बांध में 100 साल में एकत्रित होने वाली सिल्ट का रखा जा रहा ध्यान

नए बांध बन रहे हैं, उसमें 100 साल में जितनी सिल्ट जमा होगी, उतना भराव क्षेत्र नहीं जोड़ा जाता है। उसे रिक्त रखा जाता है। हरसी बांध का निर्माण 1935 में हुआ था। इसकी भराव क्षमता 206.3 एमसीएम है।
हरसी बांध (ग्वालियर) की ऊंचाई 29.26 मीटर है और यह एशिया का पहला मिट्टी का बांध माना जाता है। यह बांध पार्वती नदी पर स्थित है और इसके शिखर की ऊंचाई 29.26 मीटर है।

एमसीएम में मापी जाती है जलभराव क्षमता


  1. मिलियन क्यूबिक मीटर आयतन की एक माप है, जिसका अर्थ एक मिलियन (10 लाख) क्यूबिक मीटर होता है। यह इकाई बड़े पैमाने पर आयतन को व्यक्त करने के लिए सिविल इंजीनियङ्क्षरग, विशेष रूप से जल संसाधनों और बांधों के आयतन को मापने में उपयोग की जाती है।




  2. एक एमसीएम पानी में रबी के सीजन में 180 हेक्टेयर भूमि ङ्क्षसचित होती है। हरसी बांध की क्षमता 34.79 एमसीएम घटी है। इस हिसाब से 6 हजार 262 हेक्टेयर ङ्क्षसचाई का रकबा घटा है।

एक्सपट…व्र्यू : भराव क्षमता कम हो रही है बांध की

यह बात सच है कि हरसी में तेजी से सिल्ट बढ़ी है। इससे बांध की भराव क्षमता कम हो रही है। सबसे ज्यादा प्रभाव किसान पर पड़ेगा क्योंकि बांध में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होगा और ङ्क्षसचाई के लिए पानी कम मिलेगा। निकासी गेट भी सिल्ट में दब जाएंगे।
एसके शर्मा, सेवा निवृत्त इंजीनियर जल संसाधन