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स्कूलों में सुरक्षा होगी पुख्ता, बच्चों की निगरानी के साथ होगी काउंसिलिंग

अहमदाबाद में कक्षा 8वीं के छात्रों द्वारा 10वीं के छात्र की हत्या करने के बाद मप्र का स्कूल शिक्षा विभाग भी हरकत में आया है। इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को ...

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स्कूलों में सुरक्षा

स्कूलों में सुरक्षा

ग्वालियर. अहमदाबाद में कक्षा 8वीं के छात्रों द्वारा 10वीं के छात्र की हत्या करने के बाद मप्र का स्कूल शिक्षा विभाग भी हरकत में आया है। इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए जा रहे हैं। भोपाल में जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों के प्राचार्यों को आदेश जारी कर बच्चों की सुरक्षा और काउंसिलिंग की व्यवस्था करने के लिए कहा है।

अफसरों का कहना है कि ग्वालियर में अभी आदेश की कॉपी नहीं आई है, लेकिन मौखिक रूप से निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में शहर के शासकीय व प्राइवेट स्कूलों में न तो बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाए गए हैं और न उनकी काउंसिलिंग की कोई व्यवस्था है। स्कूल के गेट के बाहर बस या अन्य कोई घटना हो जाए, तो स्कूल प्रबंधन जिम्मेदारी तक लेने से कतराते हैं।

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प्राइवेट स्कूलों पर भी रखेंगे नजर

अहमदाबाद के प्राइवेट स्कूल में कक्षा 8वीं के छात्रों ने 10वीं के छात्र की चाकू मारकर हत्या कर दी। मृत छात्र के परिजनों ने स्कूल में पहुंचकर तोडफ़ोड़ की थी, इसको लेकर प्राइवेट स्कूलों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं, कई राज्यों में प्राइवेट स्कूलों को एडवायजारी कर दी गई है। प्रदेश स्तर पर गाइड लाइन जारी करने के साथ भोपाल में जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी संकुल प्राचार्यों को आदेश जारी करके अपने-अपने क्षेत्रों में स्कूलों में सतर्कता बरतने, सुरक्षा के इंतजाम करने और बच्चों की हरकतों पर नजर रखने के लिए कहा है। प्राचार्य स्कूलों का औचक निरीक्षण तो करेंगे ही और प्राइवेट स्कूलों की व्यवस्थाएं भी देखेंगे।

कौन स्टाफ कहां काम कर रहा है, जानकारी ही नहीं

स्कूलों में छात्र-छात्राओं के साथ यौन शोषण और बच्चों द्वारा घटनाओं पर रोक लगाने स्कूल शिक्षा विभाग ने पूर्व में सभी प्राइवेट स्कूलों को पूरे स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन के निर्देश दिए थे। लेकिन कौन-सा कर्मचारी कहां काम कर रहा है, इसकी जानकारी न तो विभाग के पास है और न ही पुलिस के पास है।

इनका कहना है

स्कूलों में आजकल जो घटनाएं हो रही हैं, उसका मुख्य कारण स्कूलों के पास पर्याप्त व योग्य स्टाफ का नहीं होना है। स्टाफ के पास बीएड- डीएड की डिग्री तो है, लेकिन शिक्षा का मौलिक ज्ञान नहीं है। जबकि नैतिक शिक्षा का होना काफी जरूरी है। बच्चे वर्तमान में सोशल मीडिया व दूसरे प्लेटफॉर्म की वजह से ङ्क्षहसक हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर हिंसक कंटेंट के चलते बच्चों की मानसिकता भी बदल रही है। स्कूल के शिक्षकों और स्टाफ को बच्चों की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर नजर रखना चाहिए। वहीं, पैरेट््स भी दौड़-भाग की ङ्क्षजदगी के बीच बच्चों को समय देकर भावनाएं समझें।
राजकरण सिंह भदौरिया, अध्यक्ष प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ग्वालियर