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मरीज समझ रहे सर्जन, लेकिन इलाज लिख रहे आयुर्वेदिक डॉक्टर

सर्जन, मेडिकल स्पेशलिस्ट के चैंबर मेें बैठ रहे आयुर्वेद डॉक्टर, मरीज परेशान  

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मरीज समझ रहे सर्जन, लेकिन इलाज लिख रहे आयुर्वेदिक डॉक्टर

,,मरीज समझ रहे सर्जन, लेकिन इलाज लिख रहे आयुर्वेदिक डॉक्टर

ग्वालियर. जिला अस्पताल की ओपीडी में इन दिनों सर्जन, मेडिकल स्पेशलिस्ट की जगह आयुर्वेदिक डॉक्टर मरीजों को इलाज कर रहे हैं। यहां भारी संख्या में बीमार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन ओपीडी की लंबी भीड़ में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के न होने से मरीज आयुर्वेद के डॉक्टरों से ही अपना इलाज करा रहे हैं। दरअसल ओपीडी के रूम में जिन स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का नाम लिखे हैं। वह डॉक्टर सुबह के समय ऑपरेशनों के साथ राउंड पर रहते हैं। ऐसे में मरीजों को सिर्फ आयुर्वेद के डॉक्टर ही मिलते हैं। अस्पताल में आने वाले मरीजों को यह पता ही नहीं रहता कि आखिर यह डॉक्टर आयुर्वेद के हैं या स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं। मरीज अपनी लंबी- लंबी लाइनों में लगकर डॉक्टर को अपनी परेशानी बताकर इलाज कराता है। इस ओपीडी में पहले सीनियर डॉक्टरों के साथ आयुर्वेद के डॉक्टर भी बैठते थे। लेकिन अब ओपीडी में ज्यादातर डॉक्टर आयुर्वेद के मौजूद रहते हैं। शनिवार को पत्रिका टीम ने ओपीडी की व्यवस्था देखी तो कमरा नंवर 510 में सर्जन डॉ. नीरज बंसल की जगह मरीजों को आयुर्वेद डॉक्टर धर्मेन्द्र कुशवाह देख रहे थे। वहीं कमरा नंबर 504 में मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. नरेश लछवानी और डॉ. दिलीप राजौरिया की जगह आयुर्वेद के डॉक्टर अजय मरीजों को देख रहे थे।

आधी दवाएं लिख रहे बाहर की
ओपीडी में बैठे आयुर्वेद के डॉक्टर मरीजों को आधी दवाएं अस्पताल के बाहर की लिख रहे हैं। इसलिए मरीजों को कुछ दवाएं बाहर मेडिकल से जाकर खरीदना पड़ती हैं। ऐसे में मरीजों की हर दिन जेब भी ढीली हो रही है। जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि दवाएं हमारे पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, इसलिए दवाएं बाहर की नहीं लिखना चाहिए।

डॉक्टरों की कमी के चलते लगाई है ड्यूटी
ओपीडी में आयुर्वेद के डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। इसकी जानकारी आज ही मिली है। अब डॉक्टर सभी दवाएं अस्पताल की ही देंगे। वहीं डॉक्टरों की कमी के चलते कुछ डॉक्टर ऑपरेशन में सुबह के समय रहते हैं। इसलिए आयुर्वेद के डॉक्टरों को लगाया गया है। लेकिन अब ड्यूटी डॉक्टरों को भी ओपीडी में कुछ समय देना पड़ेगा।
डॉ. राजेश शर्मा, सिविल सर्जन


मरीजों का दर्द

सात में से चार ही दवाएं मिलीं
पोरसा से पैर में दर्द का इलाज कराने आईं आरती भदौरिया को डॉक्टर ने सात दवाएं लिखीं। जिसमें से चार ही दवाएं अस्पताल में मिलीं। वहीं तीन दवाओं पर उन्होंने 325 रुपए खर्च करके दवाएं खरीदीं।


दो दवाएं बाहर से खरीदीं
शिवनगर निवासी दुर्गेश ने बताया कि पांच दवाएं में से दो दवाएं तो खरीदना ही पड़ रही हैं। जबकि अस्पताल में आकर तो सभी दवाएं मिलना चाहिए। फिर यहां सरकारी अस्पताल में आने का क्या फायदा है।

एक दवा नहीं मिली
काल्पी ब्रिज निवासी कुलदीप ने बताया कि डॉक्टर ने चार दवाएं लिखी हैं। जिसमें से एक दवा नहीं मिली है। यह दवा अब मेडिकल से खरीदना पड़ेगी।