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ग्वालियर. ऑनलाइन लोन की सुविधा बढ़ती जा रही है, लेकिन इससे जुड़े जोखिम भी बढ़ रहे हैं। कम उम्र के लोग और उम्रदराज व्यक्ति ऑनलाइन लोन के जाल में फंस रहे हैं। आजकल फटाफट लोन का मायाजाल मिनटों में कर्ज तो थमा रहा है, लेकिन जरूरतमंदों की जान के लिए आफत साबित हो रहा है। एक बार इंस्टेंट लोन (ऑनलाइन लोन) के झंझट में फंसने वाले आर्थिक, मानसिक और सामाजिक संकट में उलझ रहे हैं। सीधे कहा जाए तो आसानी से लोन देने वाली कंपनियां अब जानलेवा साबित हो रही हैं।
कर्ज के इस जाल में बच्चों से लेकर उम्रदराज तक उलझ रहे हैं। लाला का बाजार (माधौगंज) निवासी बृजमोहन शिवहरे का बेटा विक्की (35) ऑनलाइन लोन से उबरने के लिए 8 दिन तक दफीने (गढ़े धन) की तलाश में लगा रहा। घर से गायब होकर भूखा- प्यासा तांत्रिकों के चक्कर काटता रहा। पुलिस और परिवार उसकी तलाश में चक्करघिन्नी हो गए। यह अकेले विक्की की कहानी नहीं है बल्कि पुलिस के सामने ऐसी शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है। इसके बावजूद ऑनलाइन लोन का धंधा चालू है। पुलिस की नजर में फाइनेंस कंपनियां कानूनी दायरे में ऑनलाइन लोन दे रही हैं, इनका वसूली का तरीका गलत है। लेकिन प्रताडऩा के सबूत नहीं मिलते हैं, तो कानूनी शिकंजे में नहीं आतीं।
लोन ऐप्स मोबाइल एप्लीकेशन हैं, जो व्यक्तिगत या छोटे व्यवसायों के लिए तत्काल कर्ज प्रदान करते हैं। ये ऐप्स बैंकों, गैर-बैंङ्क्षकग वित्तीय कंपनियों या फिनटेक कंपनियों द्वारा संचालित होते हैं। इनके जरिए जरूरतमंद स्मार्ट फोन के जरिए कर्ज के लिए आवेदन करते हैं और स्वीकृति के बाद राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा हो जाती है। इन्हें डिजिटल लेंङ्क्षडग प्लेटफॉर्म के रूप में भी जाना जाता है। वित्तीय सेवाओं में तेजी का हवाला देकर यह ऐप्स काम कर रहे हैं। इनकी वजह से कर्जा लेना आसान तो हुआ है, लेकिन इसका जाल खतरनाक है। नियम से तो भारतीय रिजर्व बैंक से रजिस्टर्ड ऐप ही मान्य हैं, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दो नंबर के ऐप की भरमार है।
Published on:
01 Sept 2025 05:56 pm
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