फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, भिंड द्वारा दिए गए मुआवजे के आदेश को निरस्त कर दिया है। न्यायमूर्ति हृदेश की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि जब वाहन चालक की लापरवाही सिद्ध नहीं होती, तब मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के तहत मुआवजे का दावा मान्य नहीं होता। यह मामला वर्ष 2017 के एक सड़क हादसे से संबंधित था, जिसमें पदमचंद्र जैन को दुर्घटना में चोटें आई थीं। दावा अधिकरण ने बीमा कंपनी एवं वाहन स्वामी को संयुक्त रूप से 84,300 रुपए मुआवजा अदा करने का आदेश दिया था।
इस आदेश को एचडीएफसी ईआरजीओ जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। दावा अधिकरण ने स्वयं यह माना था कि दुर्घटना के समय चालक शिवम शिवहरे वाहन नहीं चला रहा था और उसकी लापरवाही सिद्ध नहीं हुई थी। केवल वाहन के उपयोग के आधार पर मुआवजा प्रदान कर दिया गया, जो कि कानूनन उचित नहीं है।
अदालत ने धारा 140 (नो-फॉल्ट लायबिलिटी) का भी संदर्भ देते हुए कहा कि यह प्रावधान केवल मौत अथवा स्थायी विकलांगता की स्थिति में लागू होता है, जबकि वर्तमान मामले में पीड़ित को केवल गंभीर चोटें आई थीं, स्थायी विकलांगता नहीं। इस प्रकार कोर्ट ने दावा अधिकरण का आदेश रद्द करते हुए बीमा कंपनी की अपील स्वीकार कर ली। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बिना लापरवाही सिद्ध हुए मुआवजे का अधिकार नहीं बनता।
Updated on:
22 Oct 2025 01:41 pm
Published on:
22 Oct 2025 01:40 pm
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