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साक्ष्यों में विरोधाभाष, तीन दिन देर से भेजे नमूने, कानून का भी पालन नहीं, मामला संदिग्ध होने पर आरोपी दोषमुक्त

Oxytocin injections were recovered from the accused – independent witnesses also did not support the prosecution story

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Oxytocin injections were recovered from the accused – independent witnesses also did not support the prosecution story

Oxytocin injections were recovered from the accused – independent witnesses also did not support the prosecution story

विशेष न्यायाधीश (ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट), ललित किशोर की अदालत ने बहुचर्चित ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन प्रकरण में आरोपी कमल अग्रवाल को संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया। न्यायालय ने पाया कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को संदेह से परे सिद्ध नहीं कर सका तथा साक्ष्यों में कई महत्वपूर्ण विरोधाभास रहे। अदालत ने माना कि दवा निरीक्षक द्वारा नमूना लेने और परीक्षण भेजने की प्रक्रिया में आवश्यक प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। रिपोर्ट भेजने में तीन दिन की देरी हुई, जिसका कोई ठोस कारण नहीं बताया गया। साथ ही, निरीक्षक द्वारा नमूना लेते समय इंजेक्शन का मूल्य भुगतान न करना भी प्रक्रिया का उल्लंघन था। न्यायालय ने यह भी कहा कि जब मुख्य गवाहों के बयान परस्पर विरोधी हों और स्वतंत्र गवाह समर्थन न करे, तो अभियोजन की कहानी अविश्वसनीय हो जाती है। अदालत ने कहा कि यदि दो दृष्टिकोण संभव हों, तो आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए।

क्या है मामला

31 जुलाई 2019 को दवा निरीक्षक अजय ठाकुर को सूचना मिली थी कि गुड़ागड़ी का नाका स्थित एमएस कमल किराना स्टोर पर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का अवैध रूप से भंडारण और विक्रय किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान दुकान से बिना लेबल वाले 18 वायल (30 मिली) तरल पदार्थ के पाए गए जिन्हें दवा निरीक्षक ने जब्त कर नमूने जांच हेतु केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला, कोलकाता भेजे। रिपोर्ट में ऑक्सीटोसिन की पुष्टि हुई।

अभियोजन पक्ष का आरोप:

अभियोजन के अनुसार आरोपी कमल अग्रवाल बिना वैध दवा लाइसेंस के प्रतिबंधित औषधि का भंडारण और बिक्री कर रहा था। उसके विरुद्ध ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट,के तहत मामला दर्ज किया गया था। अभियोजन ने मुकदमे के दौरान चार गवाहों को पेश किया गया, जिनमें मुख्य दवा निरीक्षक अजय ठाकुर , नितिन केलकर , अयूब खान और स्वतंत्र गवाह संजय अग्रवाल शामिल थे। हालांकि, नितिन केलकर, जिन्हें फर्जी ग्राहक बनाकर इंजेक्शन खरीदने भेजा गया था, ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने आरोपी से कोई इंजेक्शन नहीं खरीदा। स्वतंत्र गवाह संजय अग्रवाल ने भी अदालत में कहा कि उन्होंने कोई छापा पड़ते नहीं देखा। कोर्ट ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। आरोपी की ओर से पैरवी संजय बहिरानी ने की।