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प्रभावी एनपीए वसूली हेतु बैंकों को करने होंगे सामूहिक प्रयास- सुनील ढाका

गोरखपुर में आज बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें गोरखपुर जिले के कई बैंक और सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों के अधिकारी भाग लिए।

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फोटो सोर्स:पत्रिका, बैंक और बीमा कंपनियों के अधिकारियों की आयोजित हुई बैठक

बैंक ऑफ इंडिया, आंचलिक कार्यालय गोरखपुर द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास–बैंक बीमा) के तत्वावधान में "सतत कृषि वित्त एवं प्रभावी एनपीए प्रबंधन" विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें गोरखपुर जनपद के विभिन्न सरकारी बैंकों एवं बीमा कंपनियों के अधिकारियों ने सहभागिता की।

बीरेंद्र कुमार गुप्ता( आंचलिक प्रबंधक)

इस अवसर पर आंचलिक प्रबंधक बीरेंद्र कुमार गुप्ता ने कृषि वित्त की आवश्यकता, चुनौतियों एवं उससे जुड़े जोखिमों के प्रबंधन के साथ-साथ एनपीए की प्रभावी रोकथाम पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने सतत कृषि वित्त को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए इसके संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया।

जानें क्या होता है NPA

बैंकों में NPA (Non-Performing Asset) का मतलब है एक ऐसा ऋण या अग्रिम, जिसका भुगतान 90 दिनों या उससे अधिक समय से नहीं किया गया है. दूसरे शब्दों में, यदि किसी उधारकर्ता ने 90 दिनों से अधिक समय से अपने ऋण की ईएमआई या ब्याज का भुगतान नहीं किया है, तो उस ऋण को NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) घोषित कर दिया जाता है।

सुनील कुमार ढाका(उप आंचलिक प्रबंधक)

उप आंचलिक प्रबंधक सुनील कुमार ढाका ने सभी सरकारी बैंकों को एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे किसानों को समुचित सेवा उपलब्ध कराई जा सके। उन्होंने किसानों में ऋण संबंधी जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया, जिससे एनपीए की समस्या को जड़ से नियंत्रित किया जा सके।

संगोष्ठी में वक्ताओं ने डिजिटल ऋण प्रक्रिया, फसल बीमा, समयबद्ध ऋण वसूली एवं ग्राहक संवाद जैसे प्रमुख पहलुओं पर विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रबंधक (राजभाषा) दिव्यांश मिश्र द्वारा किया गया।