MBBS From Russia: देश में हर साल लाखों युवक डॉक्टर बनने का सपना लिए नीट यूजी परीक्षा की तैयारी करते हैं। भारत में सीट न मिलने पर और मेडिकल कोर्सेज में दाखिला न होने पर छात्र रूस से MBBS की पढ़ाई करते हैं। अब सवाल ये है कि आखिर भारतीय छात्रों का रूस के प्रति इस आकर्षण का कारण क्या है।
हाल ही में रूसी विज्ञान एवं संस्कृति केंद्र ने रूस-शिक्षा के सहयोग से नई दिल्ली में 26वें रूसी शिक्षा मेले का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से रूस में चिकित्सा शिक्षा के अवसरों पर प्रकाश डाला गया और इसमें MBBS में स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले 10 प्रमुख रूसी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस कार्यक्रम में ओरेनबर्ग स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Orenburg State Medical University), पर्म स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Perm State Medical University), बीबी गोरोडोविकोव कलमीक स्टेट यूनिवर्सिटी (BB Gorodovikov Kalmyk State University), प्सकोव स्टेट यूनिवर्सिटी (Pskov State University) और मारी स्टेट यूनिवर्सिटी (Mari State University) सहित अन्य प्रमुख रूसी विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व देखने को मिला।
रशियन हाउस की निदेशक डॉ. एलेना रेमीज़ोवा का कहना है कि भारत रूस सहयोग के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक है शिक्षा। भारतीय छात्रों का रूस को चुनने के पीछे सबसे बड़ा कारण हो सकता है रूस और भारत के संबंध। सालों से रूस और भारत के संबंध अच्छे रहे हैं। वहीं रूस के विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों के दाखिले को लेकर कोई कठोर नियम या सीमाएं नहीं हैं। ये अन्य पश्चिमी देशों के मुकाबले बिल्कुल अलग है, जहां वीजा नीति से लेकर विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों के प्रवेश तक कड़े नियम हैं।
वहीं दूसरा कारण है रूस में सीटों की संख्या, खासकर मेडिकल कॉलेजों में। रूसी विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों के लिए सीटों की संख्या बढ़ाने को लेकर सक्रिय दिशा में पहल किए जाते हैं। साथ ही इमिग्रेशन को लेकर भी कोई सख्त नियम नहीं हैं।
वहीं फीस भी बहुत बड़ा कारक है। भारत में जहां प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस लगभग 1 करोड़ चली जाती है। वहीं रूसी विश्वविद्यालयों में पूरे 6 वर्षीय MBBS पाठ्यक्रम की लागत करीब 18 लाख रुपये से 45 लाख रुपये के बीच है। इसी के साथ रूस की यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्रों के लिए अलग से होस्टल, मेस व सुरक्षा आदि की सुविधाएं हैं।
रूस से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद छात्र FMGEएलिजिबिलटी टेस्ट देने के बाद भारत में प्रैक्टिस कर सकते हैं। वहीं रूस की डिग्री US और यूके में भी मान्य होती है।
विदेश मंत्रालय (MEA) के आंकड़ों के अनुसार, रूस में भारतीय छात्रों की संख्या 2022 में 19,784 से बढ़कर 2023 में 23,503 और 2024 में 31,444 हो जाएगी, जो विशेष रूप से चिकित्सा शिक्षा में नामांकन में लगातार वृद्धि को दर्शाती है।
मारी स्टेट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. पेटरोवा इरिना (Prof Petrova Irina) के अनुसार, पिछले साल करीब 34,000 भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए रूस गए थे, इनमें से ज्यादातर मेडिकल की पढ़ाई के लिए गए थे। 99 प्रतिशत छात्र सिर्फ मेडिकल कोर्स के लिए जाते हैं, क्योंकि इंजीनियरिंग और दूसरे कोर्स के लिए ऐसी मांग नहीं होती है।
भारत में मेडिकल शिक्षा को लेकर युवाओं में अलग सा क्रेज है। हर साल करीब 24-25 लाख छात्र NEET UG की परीक्षा देते हैं। वर्ष 2024 में NEET UG परीक्षा में लगभग 23,33,297 छात्र शामिल हुए थे, जबकि आवेदन करीब 24 लाख छात्रों ने किया था। वहीं कुल आवदेन के करीब आधे यानी कि 13,16,268 छात्र पास हुए थे। वहीं वर्ष 2025 में करीब 23 लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे। लेकिन सीट्स की बात करें तो सभी सरकारी और निजी संस्थानों को मिलाकर भी भारत में करीब 1 लाख मेडिकल की सीट्स हैं। सीट्स और आवेदक की संख्या का ये असंतुलन छात्रों को विदेश की ओर रूख करने के लिए मजबूर करता है।
रूसी विश्वविद्यालय इस साल अकेले मेडिकल कोर्सेज में 40,000 से ज्यादा भारतीय छात्रों को जगह देने की तैयारी कर रहे हैं। वाइस चांसलर प्रो. पेटरोवा इरिना का भी मानना है कि ऐतिहासिक, आर्थिक और सांस्कृतिक माहौल के कारण भारतीय छात्रों की पहली पसंद है रूस।
Published on:
02 Jun 2025 05:33 pm