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शरद महोत्सव: अव्यवस्थाओं से मेले की चमक फीकी, ठेका देकर भूली परिषद

धौलपुर की आन-बान-शान और सांस्कृतिक गतिविधियों का कभी बड़ा केन्द्र रहा शरद मेला अब सिमट रहा है। ठेका व्यवस्था ने मेला के आयोजन में अंतिम कील ठोंकने जैसा प्रयास किया है। नगर परिषद प्रशासन के लाखों रुपए पर शरद मेला उठाकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति जैसा पाने से व्यवहार कर रही है। जो मेला दीपावली से पहले शुरू हो जाता था, वह अभी तक रेंग रहा है। दुकानदार पहुंच रहे हैं लेकिन अव्यवस्थाओं ने इस दफा उन्हें मायूस किया है। हाल ये है कि जिम्मेदारी अधिकारी हो या प्रशासनिक अधिकारी जिन पर चार्ज है, वह भी मेला मैदान की व्यवस्थाओं को देखना कर गबारा नहीं समझ रहे हैं।

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शरद महोत्सव:अव्यवस्थाओं से मेले की चमक फीकी, ठेका देकर भूली परिषद Sharad Mahotsav: The shine of the fair faded due to the chaos, the council forgot after giving the contract.

धौलपुर. धौलपुर की आन-बान-शान और सांस्कृतिक गतिविधियों का कभी बड़ा केन्द्र रहा शरद मेला अब सिमट रहा है। ठेका व्यवस्था ने मेला के आयोजन में अंतिम कील ठोंकने जैसा प्रयास किया है। नगर परिषद प्रशासन के लाखों रुपए पर शरद मेला उठाकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति जैसा पाने से व्यवहार कर रही है। जो मेला दीपावली से पहले शुरू हो जाता था, वह अभी तक रेंग रहा है। दुकानदार पहुंच रहे हैं लेकिन अव्यवस्थाओं ने इस दफा उन्हें मायूस किया है। हाल ये है कि जिम्मेदारी अधिकारी हो या प्रशासनिक अधिकारी जिन पर चार्ज है, वह भी मेला मैदान की व्यवस्थाओं को देखना कर गबारा नहीं समझ रहे हैं। इसके चलते इस दफा व्यापारी निराश हैं और शहर के बड़े दुकानदारों ने भी शरद महोत्सव से किनारा कर दिया। जबकि पड़ोसी शहर ग्वालियर और संभाग मुख्यालय भरतपुर में आयोजित होने वाली नुमाइश में खूब उत्साह रहता है। लोकल व्यापारी खूब दुकानें लगाते हैं लेकिन इस दफा शहर के व्यापारियों ने दूरी बना रखी है और जो बाहर से आ रहे हैं, वह अव्यवस्था देख निराश हैं।

लोकल दुकानदारों ने भी बनाई दूरी

उधर, मेले के हाल देख कुछ दुकानदार जो मेला में दुकानें लगाते थे, उन्होंने भी दूरी बना रही। उनका कहना है कि इससे तो बढिय़ा वह अपनी दुकान पर ही कमा लेंगे। अब मेला पहले जैसा फायदे का सौदा नहीं रहा है। बता दें कि पहले बक्सा निर्माण, लोहे के सामान, लकड़ी का फर्नीचर, चारपाई और कंबल इत्यादि के दुकानदार मेले में दुकानें लगाते थे। पुरानी नगर पालिका रोड पर घंटाघर के पीछे से सिटी जुबल हॉल तक यह दुकान खूब लगती थी। आखिर में पत्थर से सिलबट्टा बनाने वाले होते थे, जो वर्तमान में मचकुंड गेट किनारे बैठे हुए हैं।

डलवानी थी मिट्टी, कुछ ट्रॉली डाली...

मेले में सफाई व्यवस्था के साथ नगर परिषद को यहां मैदान में मिट्टी डलवानी थी जिससे दुकानदार को ही जगह मिल सके। लेकिन केवल मंच के सामने ही मिट्टी डलकर रह गई। यहां पर भुगतान नहीं होने से मिट्टी डालने वाले शख्स ने भी हाथ खींच लिया। हालांकि, पत्रिका में बुधवार को प्रमुखता से ‘अंधकार में गुम होता शरद महोत्सव’ प्रकाशित खबर के बाद परिषद के जिम्मेदार नींद से जागे और सफाई करवाई।

- करीब 1980 से वह शरद मेला में लगातार चाट की दुकान लगाते आ रहे हैं लेकिन मेले की व्यवस्थाएं देख अब यहां दुकान लगाने का मन नहीं हुआ। इस दफा उन्होंने भूखंड लेने में रुचि नहीं दिखाई। दो साल से मेले की व्यवस्थाएं लगातार बिगड़ रही हैं।

- मनोज शर्मा, चाट दुकानदार धौलपुर

- धौलपुर मेला में पहली दफा दुकान लगाई है। अभी तक के हालात थोड़े मायूस करने वाले हैं। व्यवस्थाएं खराब हैं। झाडू तो बुधवार को पहली दफा लगती नजर आई। भूखंड के लिए अच्छी राशि दी है अगर मुनाफा ही नहीं हुआ तो फिर से आना मुश्किल है।- शैलेन्द्र सिंह, किचन उत्पाद विके्रता मथुरा