Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कोटा बैराज से छोड़ा पानी, चंबल नदी पर वोटिंग एरिया डूबा

प्रदेश के हाड़ौती इलाके में चक्रवात के असर के चलते हुई अच्छी बारिश के चलते मंगलवार और बुधवार को कोटा बैराज से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया। यह करीब 3 लाख क्यूसेस से अधिक है। पानी छोड़े जाने से चंबल नदी किनारे वोटिंग के लिए बनाए प्लेटफार्म व टैंट इत्यादि इसमें बह गए। शहर से सटी चंबल नदी में पड़ोसी मध्यप्रदेश के जिले मुरैना इलाके में गत दिनों एक फर्म ने गत दिनों ने चंबल सफारी शुरू की थी। लेकिन प्रदेश के कोटा बैराज से छोड़े पानी से नदी में बहाव तेज हो गया और किनारे में पर लगे वोटिंग सामान इत्यादि पानी के साथ बह गए।

2 min read
Google source verification
कोटा बैराज से छोड़ा पानी, चंबल नदी पर वोटिंग एरिWater released from Kota Barrage, flooding voting area on Chambal Riverया डूबा

- एमपी सीमा में वोटिंग प्लेटफार्म को नुकसान, टैंट पानी में बहा

- धौलपुर सीमा में नगर परिषद अभी तक नहीं कर पाई वोटिंग शुरू

- हाड़ौती क्षेत्र में हुई बारिश से दो दिन छोड़ा करीब 3 लाख क्यूसेस से अधिक पानी

धौलपुर. प्रदेश के हाड़ौती इलाके में चक्रवात के असर के चलते हुई अच्छी बारिश के चलते मंगलवार और बुधवार को कोटा बैराज से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया। यह करीब 3 लाख क्यूसेस से अधिक है। पानी छोड़े जाने से चंबल नदी किनारे वोटिंग के लिए बनाए प्लेटफार्म व टैंट इत्यादि इसमें बह गए। शहर से सटी चंबल नदी में पड़ोसी मध्यप्रदेश के जिले मुरैना इलाके में गत दिनों एक फर्म ने गत दिनों ने चंबल सफारी शुरू की थी। लेकिन प्रदेश के कोटा बैराज से छोड़े पानी से नदी में बहाव तेज हो गया और किनारे में पर लगे वोटिंग सामान इत्यादि पानी के साथ बह गए। गुरुवार को भी नदी किनारे का हिस्सा पानी में डूबा हुआ था। उधर, नदी में पानी बढऩे से बजरी माफिया में भी खलबली मच गई और बजरी निकासी कुछ दिन से स्लो हो गई है। चंबल नदी के दोनों तरफ पर्यटकों के लिए वोटिंग होती है। हालांकि, राजस्थान सीमा में वोटिंग शुरू नहीं हो पाई है। इसका जिम्मा नगर परिषद के पास है।

वोटिंग का एमपी भरपूर उठा रहा फायदा

चंबल नदी के दोनों किनारों पर वोटिंग होती है। लेकिन एमपी की सीमा में व्यवस्थित वोटिंग होने से बड़ी संख्या में पर्यटन और आमजन यहां पर पहुंचते हैं। यहां आने वालों के लिए बजरी में ही रास्ता बना रखा है। यह वोटिंग राजघाट के ठीक सामने एमपी सीमा में होती है। वहीं, धौलपुर सीमा में अभी वोटिंग शुरू नहीं हो पाई है। नगर परिषद की ओर से वोट संचालन के लिए वन विभाग से लाइसेंस मांगा है। यहां राजघाट स्थित चंबल किनारे से वन विभाग के कार्मिक भी चंबल नदी में अवांछित गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वोट से गश्त करते हैं।

बजरी निकाल रहे माफिया भी पीछे हटे

चंबल नदी में लगातार दो दिन से बढ़े जलस्तर से धौलपुर सीमा क्षेत्र में अवैध चंबल बजरी का उत्खनन कर परिवहन करने वाला माफिया को भी बहाव देख पीछे हटना पड़ा है। वहीं, चंबल नदी में एमपी सीमा में पुल के नीचे बेधडक़ अवैध बजरी निकासी होती है। मानसूनी सीजन समाप्त होने के बाद चंबल नदी में एमपी सीमा में बड़े स्तर पर बजरी की नई खैप जमा हुई है। इस इलाके में बेधडक़ माफिया जेसीबी और पोकलेन जैसी मशीनों से बजरी निकाल कर ट्रेक्टर-ट्रॉली से परिवहन करता है। यहां से अधिकतर बजरी एमपी के मुरैना और ग्वालियर शहर तक जाती है। जबकि राजस्थान सीमा में प्रवेश के लिए कोतवाली की चौकी सागरपाड़ा से निकलना होता है जो थोड़ा मुश्किल है। हालांकि, बजरी माफिया रात के समय डंपर व ट्रकों को त्रिपाल और गिट्टी डालकर निकालत है। जबकि चंबल रेलवे ब्रिज, शंकरपुरा घाट, राजाखेड़ा के दिहौली इलाके से खूब अवैध बजरी परिवहन होता है।

- बाढ़ नियंत्रण कक्ष बंद हो चुका है। ग्रुप में सूचना जरुर थी कि कोटा संभाग में हाल में हुई बारिश के चलते नदी में पानी छोड़ा गया है। हालांकि, ये सामान्य बहाव है।

- नीलम, जेईएन जल संसाधन विभाग धौलपुर