
Akshay Navami Vrat Katha
Akshay Navami Vrat Katha : हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का बेहद ही खास महत्व है। इस दिन को आंवला नवमी भी कहा जाता है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को धार्मिक दृष्टि से काफी शुभ भी माना जाता है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने के साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पूजन से पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि आप इस दिन कोई भी शुभ कार्य या दान-पुण्य करते हैं तो जन्मों-जन्म तक नष्ट नहीं होता। शास्त्रों में अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने की भी परंपरा बताई गई है। दरअसल आंवले को स्वयं भगवान विष्णु का प्रतीक कहा गया है, इसलिए इस दिन आंवले की पूजा का विशेष विधान है।
शास्त्रों के अनुसार, एक बार धन की देवी माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आईं। उन्होंने देखा कि सभी लोग भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा एक साथ कर रहे हैं। यह देखकर माता लक्ष्मी सोच में पड़ गईं कि आखिर दोनों देवताओं की एक साथ पूजा कैसे संभव है? उन्होंने विचार किया कि यदि दोनों देवों की पूजा किसी पवित्र स्थान पर एक साथ की जा सके, तो वह स्थान अत्यंत शुभ होगा।
कुछ समय बाद उन्हें ख्याल आया कि आंवला का पेड़ ऐसा पवित्र स्थल है जहां दोनों देवताओं की उपासना संभव है। क्योंकि तुलसी और आंवला दोनों में दिव्य और औषधीय गुण पाए जाते हैं। तब माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर दोनों देव प्रकट हुए और माता लक्ष्मी को आशीर्वाद दिया। माता लक्ष्मी ने वहां भोजन बनाकर दोनों देवताओं को भोग लगाया। तभी से अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे पूजा और भोजन करने की परंपरा आरंभ हुई।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, काशी में एक धर्मात्मा वैश्य दंपति रहते थे, जो बहुत धनी थे लेकिन निसंतान थे। एक दिन वैश्य की पत्नी को किसी ने संतान प्राप्ति के लिए किसी पराए बालक की बलि देने का सुझाव दिया। पत्नी ने लालच में आकर एक कन्या की बलि दे दी। इसके परिणामस्वरूप उसे कुष्ठ रोग हो गया और वह भयंकर पीड़ा में रहने लगी। जब वैश्य को यह बात पता चली, तो उन्होंने पत्नी को गंगा तट पर जाकर प्रायश्चित करने की सलाह दी। वहां माता गंगा ने उससे कहा कि कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवले के पेड़ की पूजा करो और आंवले का सेवन करो। महिला ने ऐसा ही किया और इस व्रत के प्रभाव से वह रोगमुक्त हो गई। कुछ समय बाद उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति भी हुई। इस प्रकार, अक्षय नवमी और आंवला नवमी का व्रत करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और संतान सुख भी प्राप्त होता है।
Updated on:
31 Oct 2025 10:42 am
Published on:
31 Oct 2025 09:26 am
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