गौरा-गौरी शोभायात्रा (Photo Patrika)
CG News: परंपरा अनुसार धनतेरस पर्व के एक दिन पहले से ही शहर के वार्डों में गौरा-गौरी जगाने की रस्म शुरू हो जाती है। रात में आदिवासी समाज के लोग गौरा चौरा में एकत्रित होते हैं। पारंपरिक गढ़वा बाजा की देव धुन के साथ हाथ में चावल लेकर गौरा-गौरी का आह्वान करते हैं।
आदिवासी समाज के लोगों ने बताया कि लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन गौरा-गौरी उत्सव मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस परंपरा का निर्वहन मुय रूप से आदिवासी समाज करता है। अन्य समाज के लोग भी इस पर्व में सहभागी बनते हैं। दिवाली के दिन चुलमाटी का कार्यक्रम होगा। इस दिन विवाह में होने वाले चुलमाटी की रस्म अदा की जाएगी।
शहर के वार्डों में दिवाली की रात गौरा कलशा श्रृंगार करने की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती की भव्य और आकर्षक बारात निकाली जाएगी। इसकी तैयारी में आदिवासी समाज के लोग जुटे हैं। शहर के हटकेशर, मकेश्वर वार्ड, कोष्टापारा वार्ड समेत विभिन्न वार्डों में गौरा-गौरी की बारात निकाली जाएगी। ग्राम लोहरसी आदिवासी समाज के अध्यक्ष नरेश उइके, उपाध्यक्ष डिगेश्वर सलाम, मिलेन्द्र कुमार नेताम, सविता नेताम ने बताया कि 21 अक्टूबर की रात गौरी-गौरा की बारात निकाली जाएगी। 22 अक्टूबर की सुबह गौरी-गौरा विसर्जन पश्चात गोवर्धन पूजा का उत्सव मनाया जाएगा।
मूर्तिकार प्रहलाद कुंभकार, शंकर कुंभकार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अर्धरात्रि में गौरा-गौरी की बारात निकाली जाती है। जबकि शहरी क्षेत्रों में राज गौरी-गौरा की बारात दिवाली के दूसरे दिन रात में निकाली जाती है। उन्होंने बताया कि गौरी-गौरा उत्सव के लिए इस साल भी कुहार पारा में भगवान शिव और माता पार्वती की करीब दर्जनभर प्रतिमाओं को आकार दिया जा रहा है। प्रतिमा निर्माण का काम अंतिम चरण में है। दिवाली के एक दिन पहले गौरी-गौरा की प्रतिमा का रंग-रोगन कर अंतिम टच दिया जाएगा।
Published on:
21 Oct 2025 10:26 am
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