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Churu : दवा या दर्द? खांसी के इलाज में बुझ गया घर का एक चिराग

चूरू के वार्ड 39 के दादा ने बताया कि 30 सितबर को पहली बार अनस को उसकी दादी बानो और पिता नवाब ने राजकीय भरतिया अस्पताल में दिखाया। चिकित्सकों ने बच्चे को खांसी की दवा के साथ कफ सिरप की दवाई लिख दी। बच्चे को घरवालों ने सिरप दी उसकी हालत बिगड़ने लगी। 2 अक्टूबर को फिर भरतिया अस्पताल ले गए।

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चूरू. ऐसी कौनसी खांसी है कि जान की दुश्मन ही बन जाएं या फिर ऐसी कौनसी दवा है जो किसी मर्ज को दर्द दे जाए, ऐसा ही हो रहा प्रदेश में जिसके क्रम में बीती रात को चूरू के एक बच्चों को खांसी ने लील लिया। बैरन बनी खांसी या फिर उसकी दवा के आघात ने एक घर का चिराग बुझा दिया।

दादा ने खोया पोता

चूरू के वार्ड 39 के दादा ने बताया कि 30 सितबर को पहली बार अनस को उसकी दादी बानो और पिता नवाब ने राजकीय भरतिया अस्पताल में दिखाया। चिकित्सकों ने बच्चे को खांसी की दवा के साथ कफ सिरप की दवाई लिख दी। बच्चे को घरवालों ने सिरप दी उसकी हालत बिगड़ने लगी। 2 अक्टूबर को फिर भरतिया अस्पताल ले गए। 3 अक्टूबर तक अस्पताल के मातृ एवं शिशु वार्ड में इलाज चला लेकिन इसी दिन रात को उसे जयपुर रैफर कर दिया गया। परिजनों के अनुसार 4 अक्टूबर को जयपुर के जेके लोन अस्पताल में भर्ती करवा गया। जयपुर में बच्चे के माता पिता और रिश्ते में भांजा मुबारिक साथ में गए थे। आखिर बच्चा माता पिता को बिलखता छोड़ चला गया।

इसी क्रम में अतर खान ने बताया कि जयपुर में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ से बात की जिस पर उन्होंने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाया। अस्पताल में पोस्टमार्टम कर पिता को बच्चे का शव सौंपा। परिजन रविवार को चूरू पहुंचे और बिलखते परिजनों ने अपने मासूम को अंतिम विदाई दी।