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सांझा चूल्हा और पोषण पुनर्वास केन्द्र में इलाज से घटी कुपोषित बच्चों की संख्या

पोषण पुर्नवास केन्द्र से कुपोषित बच्चों की संख्या में गिरावट आई है। पिछले दशक की तुलना में अभी अति गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2251 पाई गई है। महिला बाल विकास विभाग की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

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जिले भर के आंगनवाड़ी केन्द्रों में सांझा चूल्हा और जिला अस्पताल में पोषण पुर्नवास केन्द्र से कुपोषित बच्चों की संख्या में गिरावट आई है। पिछले दशक की तुलना में अभी अति गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2251 पाई गई है। महिला बाल विकास विभाग की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।


जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या 2532 है। हाल के सर्वेक्षण में शून्य से पांच वर्ष के 1.29 लाख बच्चों में मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 11333 है। इनमें गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2251 है। पिछले दशक में यह संख्या छह हजार से अधिक थी। महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारियों का दावा है कि प्रदेश सरकार की सांझा चूल्हा योजना की बदौलत इस संख्या में गिरावट दर्ज हुई है। इसका बड़ा कारण जिला अस्पताल में पोषण पुर्नवास केन्द्र की स्थापना है, जहां गंभीर कुपोषित बच्चों का इलाज हो रहा है। जिनसे यह संख्या कम हो रही है।


पुर्नवास केन्द्र में कम आए गंभीर कुपोषित बच्चे


पोषण पुर्नवास केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) में 857 बच्चों की संख्या दर्ज की गई है। छिंदवाड़ा व पांढुर्ना के ब्लॉकों में संचालित एनआरसी सेंटरों में कुपोषित बच्चों का उपचार किया जा रहा है जो स्वस्थ होकर अपने घर पहुंच रहे है। वर्तमान में जिले के एनआरसी सेंटरों में कुपोषित बच्चों को 14 दिनों तक रखा जाता है तथा उपयुक्त डाइट व वजन बढाकर स्वस्थ करने का कार्य किया जाता है। आकांक्षी जिलों में सी-सेम कार्यक्रम चल रहा है। जिसके तहत 0 से पांच वर्ष के बच्चों का लंबाई, चौड़ाई और वजन के आधार पर स्तर तय किया जाता हैं। सी-सेम के तहत पहले बच्चों के भूख की जांच होती हैं।


14 दिन तक बच्चों को रखने का नियम


एनआरसी सेंटर में पांच वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण का शिकार होने पर 14 दिनों तक रखा जाता है। अधिकांश बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से आते हैं। बच्चों को सुबह पाउडर, राजगिरा के लड्डू, दूध, खिचड़ी, दलिया दी जाती है। जिससे उनका वजन बढ़ता है। वे कुपोषण की श्रेणी से बाहर आते हैं।


नौ विकासखण्डों में पोषण पुर्नवास केन्द्र


छिंदवाड़ा व पांढुर्ना के नौ विकासखण्डों में एनआरसी सेंटर संचालित है, जहां पर कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाता है। कुपोषण से बचाव पौष्टिक आहार है। जागरुकता के अभाव में आदिवासी इलाकों में बच्चे ज्यादा कुपोषित होते है। यह संख्या हर्रई में सबसे ज्यादा अति गंभीर कुपोषित बच्चे 263 है।


इनका कहना है…


कुपोषित बच्चों की अपडेट जानकारी ली जा रही है। जल्द ही हम उसे सार्वजनिक करेंगे।
-ब्रजेश शिवहरे, कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग।
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