
खरीफ सीजन में हुई यूरिया समस्या से प्रशासन सतर्क हो गया है। दोबारा इसकी पुनरावृत्ति रोकने अभी से ही कृषि और सहकारिता अधिकारी से लेकर कलेक्टर सक्रिय हो गए हैं तो शासन स्तर से अलग मानीटरिंग की जा रही है। हालत यह है कि रेलवे की यूरिया रेलवे रैक अक्टूबर में ही आने लगी है। किसानों को इसका वितरण शुरू कर दिया गया है।
कृषि विभाग की मानें तो इस समय यूरिया करीब 8 हजार मीट्रिक टन यूरिया तथा डीएपी भी 13990 हजार मीट्रिक टन उपलब्ध है। यूरिया की एक रेलवे रैक 1800 मीट्रिक टन की भोपाल से आई है। चंबल कंपनी की 3 हजार मीट्रिक टन की रेलवे रैक दो तीन दिन में आ जाएगी। इसके अलावा 14800 मीट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट खाद और 1535 मीट्रिक टन म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद है। किसानों से अभी से डीएपी के साथ यूरिया उठाव की अपील प्रशासन ने शुरू कर दी है। इस मामले में कलेक्टर हरेन्द्र नारायन ने कृषि और सहकारिता अधिकारियों की बैठक ली। किसान की खसरा बही के आधार पर ही वितरण करने कहा है।
पिछले रबी सीजन 2024 में किसानों को 63 हजार मीट्रिक टन यूरिया लगी थी। प्रशासन का अनुमान है कि इस वर्ष 2025-26 में करीब 70 हजार मीट्रिक टन यूरिया लग सकता है। पिछले अक्टूबर में 9300 मीट्रिक टन यूरिया लगा था। इस साल 15500 मीट्रिक टन मिल चुका है। इसका वितरण शुरू हो गया है। करीब 8 हजार मीट्रिक टन शेष है।
यूरिया की कालाबाजारी रोकने प्रशासन ने सख्त इंतजाम किए हैं। एक-एक बोरी पर नजर रहेगी। इसके लिए तहसीलदार और एसडीएम से लेकर पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है। खरीफ सीजन में 1.20 लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत हुई थी। जिसे प्रशासन किसानों की भीड़ संभाल नहीं पाया था। इस बार इस पर निगाहें भोपाल से रखी जा रही है।
इस रबी सीजन में प्रशासन की ओर से यूरिया वितरण को लेकर सख्त इंतजाम किए जा रहे हैं। कलेक्टर बैठक ले चुके हैं। शासन की ओर से भी मानीटरिंग की जा रही है। यूरिया का वितरण सहकारी समितियों व मार्केटिंग सोसाइटी में शुरू हो गया है। किसानों को पहले यूरिया का उठाव करने की सलाह दी जा रही है।
-जितेन्द्र कुमार सिंह, उपसंचालक कृषि।
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Published on:
27 Oct 2025 11:40 am
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