पाली का औद्योगिक क्षेत्र।
फरवरी में भोपाल में हुए ग्लोबल इनवेस्टमेंट समिट (कानक्लेव) के बाद छिंदवाड़ा और पांढुर्ना में औद्योगिक माहौल तेजी से विकसित हो रहा है। उस समय आए 12 निवेशकों में से 10 ने यहां उद्योग लगाने में रुचि दिखाई है। इनमें से छिंदवाड़ा में 6 उद्योगों की स्थापना प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जबकि पांढुर्ना में 2 फैक्ट्रियां लग भी चुकी हैं।
जिले की लगभग 23.76 लाख की आबादी वाले क्षेत्र में उद्योग अभी कम हैं, लेकिन प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। यहां सीताफल, संतरा, आंवला, जामुन जैसे फल 32 प्रकार की लघु वनोपज और कोदो-कुटकी, रागी, सवां, ज्वार, बाजरा जैसे मिलेट्स प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। यही उत्पाद उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध करा रहे हैं। इनसे सह-उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड तैयार कर बाजार तक पहुंचाया जा रहा है।
जिले में मक्का का उत्पादन करीब 16 लाख मीट्रिक टन होता है। इसी के चलते बोरगांव में दो फैक्ट्रियां एथनॉल उत्पादन कर रही हैं। सलैया की एक फैक्ट्री स्टार्च उत्पादन में लगी है। इसके अलावा तीन और एथनॉल यूनिट्स की स्थापना की दिशा में काम हो रहा है।
प्रदेश सरकार उद्योगपतियों को 40 प्रतिशत सब्सिडी समेत कई प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए प्रशासन ने छिंदवाड़ा और पांढुर्ना के खजरी, इमलीखेड़ा, सुरगी, अतरवाड़ा, बोरगांव और पांढुर्ना में औद्योगिक जोन विकसित किए हैं।
लघु उद्योग भारती के मीडिया प्रभारी अमित सूचक का कहना है कि छिंदवाड़ा और पांढुर्ना में लगनेवाले लघु उद्योगों से करीब 1500 से 1800 नौकरियां सृजित होंगी। युवाओं को अपने क्षेत्र में भी काम करने का अवसर मिलेगा। इनकी ये राशि बाजार में आएगी। जिससे अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होगा। जिसका फायदा चाय ठेलों से लेकर किराना, कपड़ा, मनिहारी और सब्जी व्यवसायियों को भी मिलेगा।
प्रदेश शासन की औद्योगिक निवेश नीति का लाभ जिले को मिल रहा है। भोपाल कानक्लेव में आए 12 में से 10 उद्योगपतियों ने उद्योग स्थापना की दिशा में कदम बढ़ाया है।
— ओजस्वी काले, प्रबंधक, व्यापार एवं उद्योग केन्द्र
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Published on:
01 Sept 2025 11:35 am
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