शहर में हर चौथी बिल्डिंग में नक्शा से ज्यादा क्षेत्रफल में निर्माण हो रहा है। राज्य शासन ने ऐसे भवन मालिकों से अवैध निर्माण के कुछ हिस्से को वैध करने प्रशमन शुल्क लगाने का प्रावधान किया है लेकिन इस नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। इंजीनियर्स वार्डों में कोई सर्वेक्षण नहीं कर रहे हैं तो वहीं निगम अधिकारी भी कार्यवाही पर चुप्पी साधे बैठे है।
नगर निगम के 48 वार्ड में इस समय मकानों की संख्या 59 हजार हो गई है। इनमें 90 फीसदी मकान ऐसे हैं, जिनके स्वामियों ने मकान के नक्शे से अधिक क्षेत्र में कहीं सीढिय़ां बनाई है तो कहीं दूसरी-तीसरी मंजिल का निर्माण कर लिया है। इसके अलावा कक्षों का विस्तार भी कर लिया है। व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स में पार्किंग स्थल पर दुकानें तक बना ली गई है। ये निर्माण साल दर साल हो रहे हैं। जबकि इस अतिरिक्त निर्माण के लिए विधिवत् नगर निगम की अनुमति ली जाना चाहिए। ऐसा न होने पर नियम का उल्लंघन हो रहा है।
नगर निगम में जितने भी भवन निर्माण के नक्शे पास हो रहे हैं, उसमें प्राइवेट इंजीनियर का योगदान है। ऐसे में निगम इंजीनियर कभी इसका निरीक्षण नहीं करते हैं। नक्शा की अनुमति देते समय भी इस नियम का पालन नहीं करते। हालत यह है कि शहर में सात मंजिला आवासीय व व्यवसायिक इमारत बनती जा रही है, कहीं पार्किंग की जगह तक नहीं छोड़ी जा रही है। इंजीनियर सहीं ढंग से सर्वेक्षण करें तो कहीं-कहीं 10 फीसदी से ज्यादा निर्माण किया गया है। उन्हें तोडऩे की नौबत बन सकती है।
दो साल पहले निगम में जब आयुक्त की कुर्सी पर राहुल सिंह थे, तब भवनों में अतिरिक्त निर्माण के तीन सौ से ज्यादा मामले पकड़े गए थे। इसके बाद ऐसी फाइलों में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब इसकी कोई सुधि नहीं ले रहा है।
मप्र नगरपालिक निगम एक्ट 1956 से संशोधन विधेयक के अनुसार अनधिकृत कालोनियों और सीमांत खुले स्थानों में किए गए अनाधिकृत निर्माण में फर्श क्षेत्र अनुपात के अतिरिक्त 10 प्रतिशत की सीमा तक प्रशमन योग्य होगा।
सरकार ने प्रशमन नियमों में बदलाव किया है। 2021 के पहले 30 प्रतिशत तथा प्रशमन वैध था। अब केवल 10 फीसदी अतिरिक्त निर्माण को वैध करने का प्रावधान है। निगम में नियमों के अनुसार काम किया जा रहा है।
-हिमांशु अतुलकर, कार्यपालन यंत्री, नगर निगम
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महत्वपूर्ण तथ्य
नगर निगम की जनसंख्या-2.76 लाख
निगम में मकानों की संख्या-59 हजार
90 फीसदी से अधिक मकानों में अवैध निर्माण
इनका कहना है…
Published on:
14 Sept 2025 11:35 am
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