
खतरनाक स्तर तक बढ़ा एक्यूआई
छतरपुर. दीपावली का त्योहार अपने साथ उत्साह, रोशनी और खुशियों का संदेश लेकर आता है। लोग घरों और बाजारों को रंग-बिरंगी लाइटों, दीपों और रंगोली से सजाते हैं। लेकिन छतरपुर में दीवाली के पटाखों और आतिशबाजी ने हवा की गुणवत्ता को पूरी तरह प्रभावित कर दिया। त्योहार से ठीक दो दिन पहले यानी 19 अक्टूबर 2025 को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (्रएक्यूआई) केवल 44 था, जो अच्छी श्रेणी में आता है और सभी के लिए स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित माना जाता है। 21 अक्टूबर को दीपावली के अगले दिन बढकऱ 156 हो गया, जिससे हवा अस्वस्थ श्रेणी में पहुंच गई। इसी दौरान पीएम 2.5 का स्तर भी तेजी से बढ़ा और 7.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढकऱ 63 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया। पीएम 2.5 वायु में मौजूद ऐसे सूक्ष्म कण हैं, जो फेफड़ों में गहरे प्रवेश कर सकते हैं और सांस संबंधी रोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
19 अक्टूबर को हवा शुद्ध और साफ थी। लोग अपने घरों और बाजारों में दीपक जला रहे थे, लेकिन वातावरण में प्रदूषण का स्तर बेहद कम था। यही वजह थी कि इस दिन सभी उम्र के लोग बिना किसी स्वास्थ्य चिंता के घर से बाहर जा सकते थे। लेकिन दो दिन बाद, दीपावली पर पटाखों की अत्यधिक मात्रा, फुलझडयि़ों और रॉकेट बमों के उपयोग ने शहर की हवा को प्रदूषित कर दिया। वहीं मौसम की स्थिरता और वाहनों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण बढ़ाने में सहायक रहा।
मानक और स्वास्थ्य पर असरविश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पीएम 2.5 का 24 घंटे का सुरक्षित स्तर 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। छतरपुर में 21 अक्टूबर को पीएम 2.5 का स्तर चार गुना अधिक था। एक्यूआई के अनुसार, 0-50 को अच्छा, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को संवेदनशील समूहों के लिए अस्वस्थ, 201-300 को अत्यधिक अस्वस्थ और 301-500 को खतरनाक श्रेणी माना जाता है। इस आंकड़े से स्पष्ट है कि केवल दो दिनों के भीतर हवा की गुणवत्ता में भारी अंतर आ गया। इससे बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन रोग से पीडि़त लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरे उत्पन्न हो गए।
वायु प्रदूषण विशेषज्ञों ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। उनके अनुसार पटाखों और आतिशबाजी के अत्यधिक प्रयोग से न केवल हवा प्रदूषित होती है बल्कि बच्चों और पालतू जानवरों के लिए भी खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, लगातार प्रदूषित हवा में रहने से हृदय और फेफड़ों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- बुजुर्ग, बच्चे और श्वसन रोगियों को अधिक समय तक बाहर रहने से बचना चाहिए।
- बाहर जाने पर मास्क का प्रयोग अनिवार्य है।
- एयर प्यूरीफायर का उपयोग किया जा सकता है।
- घर में पौधे लगाने से वायु शुद्ध करने में मदद मिल सकती है।
Published on:
22 Oct 2025 10:47 am
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