Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ऐसे हैं जिम्मेदार अफसर, 25 साल बाद भी पानी, सडक़ व स्ट्रीट लाइट की सुविधा उद्यमियों को नहीं दे पाए

पानी, सडक़ और स्ट्रीट लाइट जैसी आवश्यक सुविधाओं की कमी ने उद्योगों के विकास को ठप कर दिया है। उद्यमियों का आरोप है कि जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र (डीआईसी) के अफसर उनकी समस्याओं के प्रति उदासीन हैं।

2 min read
industrial area

औद्योगिक क्षेत्र

खजुराहो-झांसी फोरलेन (एनएच 39) के पास स्थित चंद्रपुरा औद्योगिक क्षेत्र दो दशक से अधिक समय से अस्तित्व में है, लेकिन आज भी यहां के उद्यमी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में परेशान हैं। पानी, सडक़ और स्ट्रीट लाइट जैसी आवश्यक सुविधाओं की कमी ने उद्योगों के विकास को ठप कर दिया है। उद्यमियों का आरोप है कि जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र (डीआईसी) के अफसर उनकी समस्याओं के प्रति उदासीन हैं। हम बार-बार शिकायत करते हैं, लेकिन अफसर केवल वादों तक ही सीमित रहते हैं।

सडक़ और प्रवेश मार्ग बदहाल

औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश मार्ग की सडक़ निर्माण में भी लापरवाही बरती गई। प्रारंभ में जो सडक़ बनाई गई थी, वह घटिया निर्माण की वजह से टूट-फूट का शिकार हो चुकी है। वहीं, क्षेत्र में बिजली तो पहुंच गई है, लेकिन स्ट्रीट लाइट न होने के कारण शाम होते ही उद्यमियों और श्रमिकों को अंधेरे में काम करने को मजबूर होना पड़ता है। उद्यमी गिरीश दुबे ने बताया सडक़ निर्माण के लिए अनुमति मिल चुकी है, लेकिन उद्योग विभाग की लापरवाही के कारण कार्य लटका हुआ है। गड्डों से भरी सडक़ ने रोजमर्रा के आवागमन को कठिन बना दिया है।

विकराल है पानी की समस्या

चंद्रपुरा औद्योगिक क्षेत्र में पेयजल की समस्या भी गंभीर बनी हुई है। दो हैंडपंप लगाने के वादे के बावजूद उनमें से एक महीनों से खराब पड़ा है। गर्मी में उद्यमियों और श्रमिकों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है। उद्यमी बृजेंद्र गुप्ता ने कहा, हमें उद्योग विभाग ने प्लांट आवंटित करने से पहले पूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा किया था। लेकिन अब यहां पानी की समस्या, सडक़ और लाइट के अभाव में कामकाज प्रभावित हो रहा है।

अवैध प्लॉट आवंटन ने बढ़ाई समस्याएं

उद्योगपति यह भी आरोप लगाते हैं कि पूर्व जीएम आशुतोष गुप्ता और एजीएम श्रीप्रकाश मिश्रा ने मनमाफिक तरीके से प्लॉट आवंटित किए। इसके कारण प्लॉटों की सीमा और कब्जे को लेकर विवाद जारी है। वर्तमान में कई प्रकरण हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं। इस वजह से 150 में से केवल 28 प्लॉटों पर ही उद्योग संचालित हो पा रहे हैं, जबकि शेष 120 प्लॉट खाली या विवादित हैं।

अफसरों के वादों पर सवाल

उद्योग विभाग के प्रभारियों का कहना है कि वे अन्य जिलों के भी प्रभार संभालते हैं और छतरपुर आने पर ही मामले का निरीक्षण करेंगे। टीआर रावत, प्रभारी जीएम डीआईसी छतरपुर ने कहा, मेरे पास सागर, रीवा, छतरपुर समेत कई जिलों का प्रभार है, जब आएंगे तब मामले को देखेंगे।

सुविधाएं ही नहीं जुटा पाए, विस्तार रुका

चंद्रपुरा औद्योगिक क्षेत्र 25 साल बाद भी बुनियादी ढांचे के अभाव में जूझ रहा है। सडक़, पानी और स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाओं के बिना क्षेत्र में निवेश और उद्योगिक गतिविधियों का विस्तार धीमा पड़ा है। उद्यमियों की परेशानियों का समाधान करने के लिए जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र को तुरंत सक्रिय होना होगा।