
आवारा कुत्ते
शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और लगातार बढ़ रहे डॉग बाइट के मामलों को रोकने के लिए नगर पालिका द्वारा शुरू किया जाने वाला एनीमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर का काम एक बार फिर अधर में लटक गया है। वजह यह कि जिन फर्मों ने टेंडर डाले थे, वे अपात्र निकलीं। उनके पास एनीमल वेलफेयर सोसाइटी का आवश्यक पंजीयन नहीं था, जिसके बिना इस कार्य को पूरा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
नगर पालिका ने कुत्तों की नसबंदी के लिए पिछले दो वर्षों में दो बार टेंडर प्रक्रिया पूरी की, लेकिन न तो कोई संस्था आगे आई और न ही कोई योग्य ठेकेदार ने रुचि दिखाई। तीसरी बार भी प्रक्रिया पूरी की गई, किंतु इस बार जो आवेदक सामने आए, वे नियमों के अनुरूप नहीं पाए गए। नगर पालिका अधिकारियों के मुताबिक अब चौथी बार पुनः टेंडर प्रक्रिया करनी होगी, जिससे शहर में डॉग बाइट के मामलों पर नियंत्रण लाने की योजना फिलहाल टल गई है।
शहर के कई इलाकों सौरा रोड, देरी रोड, बजरंग नगर, विश्वनाथ कॉलोनी, चौबे कॉलोनी सहित करीब दो दर्जन से अधिक कॉलोनियों में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। रात के समय लोग जरूरी काम होने पर भी घरों से निकलने से डरते हैं। बाइक और साइकिल सवारों के पीछे दौड़ना अब इन कुत्तों की आदत बन चुकी है। कई इलाकों में तो लोग इन्हें देखकर रास्ता बदल लेते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि रात में झुंड बनाकर घूमने वाले ये कुत्ते न केवल डर का माहौल पैदा करते हैं बल्कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बन चुके हैं। नगर पालिका द्वारा कई बार इन्हें पकड़ने के अभियान की घोषणाएं की गईं, लेकिन ठोस कार्रवाई के अभाव में समस्या जस की तस बनी हुई है।
जिला अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, हर माह औसतन 400 से अधिक लोग रेबीज का टीका लगवाने पहुंचते हैं। इनमें अधिकतर पीड़ित आवारा कुत्तों के हमले का शिकार होते हैं। बीते वर्ष जनवरी माह में एक अकेले आवारा कुत्ते ने 130 से अधिक लोगों को काटा था। पन्ना नाका, बस स्टैंड और छत्रसाल चौराहे पर उसके आतंक से लोग घरों में कैद हो गए थे। अंततः नगर पालिका टीम ने दो दिनों की मशक्कत के बाद उस कुत्ते को पकड़ा था।
नगर पालिका प्रशासन ने बताया कि एबीसी सेंटर की स्थापना के लिए अब अगले महीने दोबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि किसी पंजीकृत एनीमल वेलफेयर संस्था को यह कार्य सौंपा जा सके। अधिकारियों का कहना है कि नसबंदी अभियान शुरू होने के बाद न केवल कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण होगा, बल्कि डॉग बाइट के मामलों में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।
टेंडर में जो आवेदक थे, उनके पास एनीमल वेलफेयर सोसाइटी का पंजीयन नहीं होने से टेंडर फिर से कराना होगा। जल्द ही टेंडर कराए जाएंगे।
माधुरी शर्मा, सीएमओ
Published on:
30 Oct 2025 10:53 am
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