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ऐतिहासिक निर्णय: लोधी राजपूत समाज ने शराबबंदी लागू की, शराब बेचने पर 11000 का जुर्माना, पीने पर 5100 रुपए का दंड

गांव के मंदिर प्रांगण में आयोजित सर्वसम्मति बैठक में समाज के बुजुर्गों, महिलाओं और युवाओं ने एकजुट होकर नशे के खिलाफ कड़ा संकल्प लिया।

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villagers meeting

शराबबंदी का फैसला लेते ग्रामीण

समाज सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए ग्राम पंचायत छापर में लोधी राजपूत समाज की बैठक में शराबबंदी को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया गया। गांव के मंदिर प्रांगण में आयोजित सर्वसम्मति बैठक में समाज के बुजुर्गों, महिलाओं और युवाओं ने एकजुट होकर नशे के खिलाफ कड़ा संकल्प लिया।

सभी जाति, वर्ग और समुदाय के लिए समान रूप से लागू होगा

बैठक में यह सर्वसम्मति से तय किया गया कि अगर कोई व्यक्ति गांव की सीमा में शराब बेचता या रखता पाया जाता है, तो उस पर 11000 का अर्थदंड लगाया जाएगा। वहीं जो भी व्यक्ति शराब पीते हुए पकड़ा जाएगा, उस पर 5100 का जुर्माना लगाया जाएगा। समाज के लोगों ने कहा कि यह नियम सभी जाति, वर्ग और समुदाय के लिए समान रूप से लागू होगा। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि शराब केवल नशा नहीं, बल्कि कई परिवारों के टूटने, झगड़ों और आर्थिक बर्बादी का कारण बन चुकी है। कई परिवारों में शिक्षा का स्तर गिरा है क्योंकि कमाई का एक बड़ा हिस्सा शराब में खर्च हो जाता है।जिस घर में शराब होती है, वहां अक्सर झगड़ा और तनाव भी होता है। अब छापर ग्राम इस कुरीति को खत्म करने की दिशा में उदाहरण बनेगा।

महिलाओं और युवाओं ने भी दिखाई एकजुटता

शराबबंदी के इस प्रस्ताव में महिलाओं की भागीदारी सबसे उल्लेखनीय रही। उन्होंने कहा कि वे घर-घर जाकर लोगों को शराब से दूर रहने की प्रेरणा देंगी। वहीं युवाओं ने इस अभियान को सोशल मीडिया और गांव-गांव जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

शराब के दुष्प्रभावों पर गंभीर चर्चा, समाज ने जताई चिंता

बैठक में यह भी चर्चा हुई कि शराब के कारण केवल परिवार ही नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक प्रगति भी रुक जाती है। नशे की वजह से सड़क हादसे, घरेलू हिंसा और अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में छापर ग्राम पंचायत का यह निर्णय सामाजिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

लोधी राजपूत समाज ने अन्य पंचायतों से भी अपील की

छापर पंचायत के इस निर्णय के बाद लोधी राजपूत समाज के नेताओं ने जिलेभर की अन्य पंचायतों से भी शराबबंदी लागू करने की अपील की है। उनका कहना है कि अगर हर पंचायत इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो समाज से नशे की बुराई को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। सभा के अंत में समाज के प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी इस निर्णय को समर्थन देने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि जनप्रतिनिधि और अधिकारी इस पहल में साथ दें, तो गांव-गांव में नशा मुक्त बुंदेलखंड का सपना जल्द साकार हो सकता है।