
मेडिकल कॉलेज ऐसा दिखेगा
लंबे इंतजार के बाद भी छतरपुर मेडिकल कॉलेज की तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। निर्माण कार्य में लगातार हो रही देरी और अब तक डीन की नियुक्ति न होने से 2025 में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के एडमिशन की संभावना बेहद कम हो गई है। शासन द्वारा कॉलेज निर्माण के लिए तय लक्ष्य 2024 तक का था, लेकिन काम दो साल पीछे खिसक चुका है। हालांकि अब निर्माण कार्य 75 फीसदी पूरा कर लिया गया है, लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से अनुमति पाने के लिए जरूरी स्टाफ की नियुक्ति भी शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में बुंदेलखंड के इस मेडिकल कॉलेज का संचालन अभी अधर में लटका हुआ है।
छतरपुर मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य अब तक पूरी तरह से पूरा नहीं हो पाया है। दो बार टेंडर रद्द होने के बाद अंतत: गुजरात की कंपनी जेपी इंफ्रा को 247 करोड़ रुपए की लागत से कॉलेज निर्माण का ठेका दिया गया है। पहले यह काम 216 करोड़ की लागत से होना था, लेकिन लगातार देरी और महंगाई के चलते लागत बढकऱ लगभग 247.12 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।कॉलेज परिसर 35 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है, जिसमें 13 भवनों का निर्माण किया जा रहा है। इसमें मुख्य कॉलेज बिल्डिंग, हॉस्टल, स्टाफ क्वार्टर, खेल परिसर और अस्पताल से जुड़ी कई इमारतें शामिल हैं। जिनका निर्माण इस साल पूरा हो जाएगा।
कॉलेज संचालन की सबसे बड़ी जरूरत डीन की नियुक्ति अब तक नहीं हो सकी है। शुरुआती चरण में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के डीन को अस्थायी रूप से छतरपुर मेडिकल कॉलेज का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, लेकिन कुछ महीनों बाद यह चार्ज वापस ले लिया गया। तब से लेकर अब तक कॉलेज के लिए नियमित डीन की नियुक्ति का मामला शासन स्तर पर लंबित है। मेडिकल कॉलेज को संचालित करने के लिए कुल 1200 कर्मचारियों की नियुक्ति आवश्यक है, जिनमें 155 टीचिंग स्टाफ प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और लेक्चरर शामिल हैं। इसके अलावा पैरामेडिकल, क्लेरिकल और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती भी जरूरी है। बिना डीन और फैकल्टी के न तो कॉलेज संचालन संभव है और न ही एमसीआई की अनुमति मिल सकेगी।
मुख्य कॉलेज भवन और शिक्षण ब्लॉक
गल्र्स और ब्वॉयज हॉस्टल
रेजिडेंट डॉक्टर और इंटन्र्स हॉस्टल
प्रोफेसर क्वार्टर व स्टाफ कॉलोनी
स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स और कमर्शियल सेंटर
फायर सेफ्टी सिस्टम और सोलर लाइटिंग नेटवर्क
नेचुरल वेंटिलेशन और पर्यावरण अनुकूल डिजाइन
शासन को भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार, कॉलेज का संचालन शुरू होने पर 19 विभागों में एमबीबीएस छात्रों की पढ़ाई कराई जाएगी। इनमें ह्यूमन एनाटॉमी, ह्यूमन फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, पाथोलॉजी (ब्लड बैंक सहित), माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, टॉक्सिकोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी, कम्युनिटी मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, पेडियाट्रिक्स, साइकियाट्री, डर्मेटोलॉजी, टीबी एंड रेस्पिरेटरी डिजीज, जनरल सर्जरी, ऑर्थोपैडिक्स, रेडियोडायग्नोसिस, रेडियोथेरेपी, और ऑप्थाल्मोलॉजी शामिल है। इन विभागों के शुरू होने से जिले में रेडियोथेरेपी, पीडियाट्रिक सर्जरी, त्वचा रोग और फोरेंसिक जांच जैसी उन्नत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी। अब तक इन बीमारियों के मरीजों को ग्वालियर, झांसी या भोपाल रेफर किया जाता था। कॉलेज के साथ एक हाइटेक ब्लड बैंक और आधुनिक लैब्स की स्थापना भी प्रस्तावित है।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) किसी भी नए मेडिकल कॉलेज को अनुमति तभी देती है, जब वहां पर्याप्त शिक्षण स्टाफ और इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हो। छतरपुर मेडिकल कॉलेज के मामले में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में 2026 के एडमिशन सीजन में कॉलेज खुलने की संभावना बेहद कम मानी जा रही है।
बुंदेलखंड के इस अंचल में मेडिकल कॉलेज की स्थापना को लेकर जनता में बड़ी उम्मीदें हैं। यह कॉलेज खुलने पर न केवल चिकित्सा शिक्षा में नई संभावनाएं खोलेगा, बल्कि जिले को अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलेंगी। हालांकि, फिलहाल निर्माण और प्रशासनिक विलंब ने इस योजना को दो साल पीछे धकेल दिया है।
लागत (पहले)- 216 करोड़
वर्तमान लागत- 247.12 करोड़
कैंपस क्षेत्रफल- 35 एकड़
भवनों की संख्या- 13
प्रवेश सीटें (पहला सत्र)- 100
टीचिंग स्टाफ आवश्यक- 155
कुल कर्मचारी आवश्यक- 1200
निर्माण एजेंसी- जेपी इंफ्रा (गुजरात)
मेडिकल कॉलेज को समय से शुरू कराने के प्रयास जारी है। निर्माण में तेजी लाई गई हैं। मैंने खुद निरीक्षण भी किया है। नियुक्ति, मान्यता के संदर्भ में पत्राचार किया जा रहा है।
पार्थ जैसवाल, कलेक्टर
Published on:
23 Oct 2025 10:44 am
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